: पंकज पटेरिया –
नव संवत्सर 2081 की मंगल बेला में समस्त राष्ट्वासी को हार्दिक मंगलकामनाएं। इस नव संवत्सर का मंगल नाम पिंगल है। इसके राजा मंगल देव है और शनि महाराज मंत्री हैं। हम भारतीय उत्सवधर्मी हैं, उत्सव धर्मिता पूरी ऊर्जा उछाह और हर्ष उत्साह के साथ हमारी शिराओं में आदिकाल से प्रवाहवान है। हमारे यहां विषाद का कोई स्थान नहीं हर्ष ही हर्ष है। अपने कठिन वक्त में भी हम हर्षोल्लास के रंग और सुगंध ढूंढ लाते हैं। यह सनातनी परंपरा हमें विरासत में मिली है। नव संवत्सर नई फसल के पकने का उत्सव है जिसे काटकर नई फसल बोई जाती है। बताया जाता है गुड़ी पड़वा उस संधिकाल का प्रतीक है। यह हमारा परम सौभाग्य है की इसी नव संवत्सर में हम 500 वर्ष बाद अपने भुवन बिराजे रामलला जी की दिव्य उपस्थिति के साक्षी बनने का शुभ अवसर मिला है। गुड़ी का अर्थ होता है पताका और पताका विजय का प्रतीक होता है जो चतुर्दिक फहरा करती है। यह चैत्र मास की पहली तिथि है यानी आलोक के आरंभ की बेला ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह एक अबूझ मुहूर्त है इसमें पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं रहती। हां नव पंचांग की पूजन कर श्री गणेश करने का अवसर भी यही होता है। जहां सम्राट विक्रमादित्य की अजर स्मृति से यह पर्व जुड़ा है वही महाराजा छत्रपति शिवाजी की महा विजय से इसका जुड़ाव है। पांडव पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी मंगल दिवस पर हुआ था। अस्तु इस महापर्व की बेला में हम राष्ट्र वासी अपनी गौरवमयी परंपरा अनुसार आपसी प्यार मोहब्बत सद्भाव से मिलजुल कर रहे हैं और देश की समृद्धि रथ के सतत गतिमान बनाने में सहायक रहें।
अनंत मंगल कामनाओं सहित नर्मदे हर।

पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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