– पंकज पटेरिया :
नर्मदापुरम। मां नर्मदा के चरणों में साहित्य सेवा और पत्रकारिता करते चार दशकों से ज्यादा समय व्यतीत हुआ। इस सफर में विभिन्न क्षेत्रों में लिखने का सौभाग्य मिला। पिछले दिनों से चल रहा कालम झरोखा, ऐसा ही एक पड़ाव है। कहीं ना कहीं कोई ना कोई होता है, उसी की कुछ और कड़ियां इस कालम में प्रस्तुत।
इस बार की यह घटना नगर के एक ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति पर केंद्रित है जिनकी अकाल मृत्यु हुई। लेकिन कैसे हुई घर वालों को पता ही नहीं चला। सब बहुत परेशान और चिंताग्रस्त। इस बीच प्रतिष्ठित परिवार के एक वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर साहब को याद आया की उनके रिश्तेदार प्लेन चैट पर दिवंगत व्यक्ति की आत्मा को बुलाते हैं।
लिहाजा उनसे आग्रह किया गया कि उनके भाई की इंदौर जाते हुए सड़क दुर्घटना में अकाल मृत्यु हो गई। परिवार दुखी था। अच्छा जमा व्यवसाय था उनका, लेकिन असमय उनकी मृत्यु से सब शोक में डूब गए। चिंता यह थी कि उनका पैसा, अकाउंट पासबुक आदि कहां है, लेन देन की जानकारी भी परिवार के छोटे बड़े सदस्य को नहीं थी। लिहाजा वस्तुस्थिति जानने के प्रयास से घर के बड़े सदस्य डॉ साहब ने यह पहल की थी।
यह जानकारी मुझे उन डा. साहब और मेरे गुरु स्वामी राधेश्याम लोहिया जी ने दी थी जो परिवार के भी परामर्शदाता थे। बहरहाल निर्धारित तिथि पर तांत्रिक जी उनके निवास पर पधारे। अपने तरीके से एक कमरे में परिवार के वरिष्ठ सदस्य और स्वामी जी को उन्होंने एक घेरे में जल की रेखा खींच बैठाया और फिर उस परिवार के दिवंगत प्रियजन की आत्मा को अपनी विधि से आमंत्रित किया। उस का आगमन हुआ और तांत्रिक तथा जीवात्मा के बीच संवाद हुआ।
दिवंगत ने बताया कि कैसे बस से इंदौर जाते समय वे रास्ते में लघुशंका के लिए उतरे, इतने में बस आगे बढ़ गई और विपरीत दिशा से आ रहे एक ट्रक ने उन्हें इतनी जबरदस्त टक्कर मारी कि उनकी मौत हो गई। फिर उसके बाद उन्हें कुछ याद नहीं। परिवार को पुलिस के उनके शव में मिले कार्ड आदि से पता मिला था और सूचना मिली थी।
तांत्रिक ने उनसे पूछा आपका खासा व्यवसाय रहा है। कुछ लेनदेन बाकी हो, बैंक के खाते, पासबुक आदि के बारे में कुछ जानकारी दें। ताकि परिवार भविष्य की समस्याओं का सामना कर सके। और आपकी निधन के बाद कोई कोई इच्छा हो तो वह भी बताएं? तब उन्होंने सारी जानकारियां दी और यही इच्छा व्यक्त की स्वामी जी से गीता पाठ सुनवा दिया जाए। परिवार ने स्वामी जी से निवेदन कर गीता पाठ करवाया।
अपने व्यवसाय के कामकाज, लेखा-जोखा, बैंक की जानकारी, लेनदेन की जो भी जानकारी दी वह बिल्कुल सही निकली। समय का चक्र घूमता रहा। ईश्वर की कृपा से उनके सभी बच्चे बड़े होकर आज चिकित्सा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित हुए। इन सब से गुजरते हुए, आज के वैज्ञानिक युग में यह यकीन करना पड़ता है कुछ भी हो, कहीं ना कहीं कोई ना कोई होता है।
अस्तु नर्मदे हर
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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9340244352
(नोट: झरोखा की इस सीरीज की किसी कड़ी का बगैर संपादक अथवा लेखक की इजाजत के बिना कोई भी उपयोग करना कानूनन दंडनीय है। सर्वाधिकार सुरक्षित हैं।)