झरोखा : हम तो जा रहे राधेरानी के पास वृंदावन

झरोखा : हम तो जा रहे राधेरानी के पास वृंदावन

* राजधानी से पंकज पटेरिया :
पुण्य सलिला मां नर्मदा की गोद में नर्मदापुरम एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां की पावन भूमि को अनेक संत महात्माओं और मनीषियों के चारु चरणों का पावन स्पर्श मिलता रहा है। अनेक संत महात्माओं की यह साधना स्थली रही है। इन्हीं में एक महान संत हो गए हैं श्री रामजी बाबा जिनकी समाधी नर्मदापुरम में रेलवे स्टेशन के मध्य स्थित है। सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी विशाल समाधी पर सुबह राम श्याम रहीम पूजा प्रार्थना करने हाजिर होते रहते हैं। समाधी सदियों से आपसी भाईचारा प्यार मोहब्बत सद्भाव का संदेश देते हुए चतुर्दिक धर्मभक्ति और आस्था की पावन सुगंध प्रसारित कर रही है। रामजी बाबा ने यहां से घोषणा जीवित समाधि ली है। उनके एक मित्र थे मुस्लिम दरवेश गौरीशा साहब। रामजी बाबा और गौरी शाह साहब में अद्भुत प्रेम था। दोनों अपने अपने रास्ते से ईश्वर का संदेश देते थे। दोनों में करार था की दुनिया से विदा होने के बाद अपने अपने स्मारकों पर एक दूसरे के स्मृति चिन्ह अंकित किए जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को आपसे प्रेम सद्भाव की प्रेरणा मिलती रहे। इसी के चलते यहां समाधि पर बाई और छतरी पर गौरी शाह साहब की पवित्र स्मृति चिन्ह अंकित है तो उनके स्मारक पर रामजी बाबा की पादुका की निशानी।

SHYAM MAHANT JI
रामजी बाबा की आठवीं पीढ़ी के सदस्य परमेश्वर दास जी महंत जिन्हें हम पारिवारिक संबंधों से श्याम भैया कहते थे। महंत जी श्याम भैया की शिक्षा इटारसी के फ्रेंड्स स्कूल में हुई थी। बोरतलाई की प्रतिष्ठित महंत परिवार के सदस्य परमेश्वरदास जी नर्मदापुरम आ गए थे वन विभाग में सेवा करते थे। बाकी समय संत शिरोमणि रामजी बाबा समाधि की सेवा करते थे और कार्यकारी महंत थे। सरकारी नौकरी में रहते हुए भी वे निष्ठावान रहे लेकिन लौकिक दुनिया से निर्लिप्त रह कर जीवन पर्यंत समाधिकी सेवा करते रहे। उनके भक्ति भाव तप के कारण उनकी जीवनचर्या संत जैसी हो गई थी। वे मेरे अग्रज कीर्ति शेष मनोहर पटेरिया मधुर जी के सहपाठी थे। नर्मदापुरम में पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में सेवा करते हुए मुझे उनका उनकी कृपा और स्नेह सदा मिलता रहा। निश्चल प्रेम, सद्भाव की मूर्ति थे और सदा सदचर्चा और महाराज जी की भक्ति में लीन रहते थे।
उनके पुत्र डॉ विजय महंत ने बताया बाबूजी को पूर्वाभास जैसे हो गया था। अस्वस्थ रहते हुए उन्हें मृत्यु बोध हो गया था पर उनकी भक्तिमय दिनचर्या में कोई फर्क नहीं आया था। कहते रहते थे भैया हमें राधारानी बुला रही हैं। हम तो राधा रानी जी के पास वृंदावन जाएंगे। अंततः उन्होंने यही शब्द कहते देह त्यागी हम तो जा रहे हैं राधा रानी के पास वृंदावन। राधे राधे और यह कहते हुए उन्होंने नागपुर के हॉस्पिटल में पिछले दिनों अंतिम सांस ली। नर्मदापुरम में उनके प्रति श्रद्धा सम्मान रखने वाला बहुत बड़ा समाज है। उनके निधन से एक सौम्यासंत् व्यक्ति की रिक्तता सदैव मन को वेदना देगी। राधे राधे नर्मदे हर श्याम भैया की स्मृति को कोटिश प्रणाम।

PATERIYA JI

पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
सेक्टर सेक्टर 5, हाउस नंबर 55
ग्लोबल पार्क सिटी, कटारा हिल्स भोपाल
9340244352 ,9407505651

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