chhath pooja vidhi

कल शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे छठ के व्रती

इटारसी। सूर्य देव की उपासना के लिए महापर्व छठ (Mahaparv Chhath) का आगाज सोमवार को नहाय खाय के साथ हो गया है। चार दिवसीय अनुष्ठान के दौरान सूर्य देव की उपासना करके श्रद्धालु दीर्घायु व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगेंगे। आज 9 नवंबर को खरना के बाद कल 10 नवंबर को डूबते सूर्य व 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ महापर्व के श्रद्धालुओं का उपवास पूरा होगा। छठ महापर्व के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित नहर किनारे तैयारियां प्रारंभ हो गयी हैं। श्रद्धालुओं ने घरों में नहाय खाय के साथ महापर्व छठ के व्रत का संकल्प लिया है।

उत्तर भारतीय समाज के वरिष्ठ सदस्य अधिवक्ता रघुवंश पांडेय ने बताया कि नहाय खाय (Nahay khay) के साथ सोमवार से चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ हो गया है। सुबह नहाकर साफ व नए वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लिया है। कल 10 नवंबर को नहर किनारे समाज के सारे श्रद्धालु एकत्र होंगे। यहां हर वर्ष मेला लगता है। शाम को करीब 5:20 बजे के आसपास डूबते सूर्य को जल से अघ्र्य दिया जाएगा। इसके बाद रातभर यहां श्रद्धालु रहेंगे और रात में भी पूजन आदि के बाद सूर्योदय का इंतजार करेंगे। 11 नवंबर को सुबह उगते सूर्य को कच्चे दूध से अर्घ देकर श्रद्धालुओं का उपवास पूरा होगा।

जानिए छठ पर्व की खास तारीखें
भारत में भगवान सूर्यदेव की आराधना का छठ पूजा पर्व वर्ष में 2 बार यानी पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी और दूसरा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। यह पर्व 4 दिनों तक चलता है और इसे छठ पूजा, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा, डाला छठ आदि कई नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व को मुख्य माना जाता है।

इस पर्व को दीवाली के बाद उत्तर भारतीय समाज खासकर बिहार, झारखंड तथा पूर्वी उत्तरप्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इन दिनों संतान प्राप्ति एवं संतान के सुखी जीवन के लिए छठ पूजा की जाती है।

इस वर्ष छठ पूजा की मुख्य तिथियां-
– छठ पर्व की मुख्य तिथियां
-सोमवार, 08 नवंबर 2021- पहला दिन- नहाय खाय से छठ पूजा का प्रारंभ हो चुका है
– मंगलवार, 09 नवंबर 2021 दूसरा दिन खरना पर्व मना।
-बुधवार, 10 नवंबर 2021, तीसरा दिन- छठ पूजा, डूबते सूर्य को अघ्र्य।
– गुरुवार, 11 नवंबर चौथा दिन-उगते हुए सूर्य को अघ्र्य, छठ पर्व का समापन। ?

क्यों करते हैं छठ मैया की पूजा
कार्तिक मास (Kartik Maas) की अमावस्या को दीवाली मनाने के छह दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है। यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती। इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व और महाव्रत के नाम से संबोधित किया जाता है। उत्तर भारतीयों में ऐसी मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर (तालाब) के किनारे यह पूजा की जाती है। छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृिष्ट की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है।

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