कराते खिलाड़ी बेच रहा खिलौना, बेटी ने किया सपना पूरा

Aakash Katare

इटारसी। कैलाश बारीबा। एक ऐसा नाम जो नब्बे के दशक में कराते की खेल विधा में किसी परिचय का मोहताज नहीं था। उस दौर में महज एक हाथ होने के बावजूद कैलाश ने हिन्दुस्तान के कई राज्यों सहित इंटरनेशनल स्तर पर नेपाल और अन्य देशों में भी अपनी कराते कला से सबको मोहित कर रखा था।

गरीब परिवार के कैलाश ने इसे रोजगार के तौर पर नहीं अपनाया बल्कि बच्चों को कराते सिखाकर अपनी तरह से और भी खिलाड़ी तैयार करने लगा। लेकिन, परिवार चलाने की जिम्मेदारी जब आयी तो उसका जुलून मजबरी के आगे हार गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने छिटपुट काम करना शुरु किया। बच्चों के लिए खिलौने बेचते हुए सपना देखा कि बच्चों को अच्छी तालीम दूंगा ताकि वे अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें। कैलाश की एक बेटी ने पिता का सपना पूरा किया। खूब मेहनत की और आज मध्यप्रदेश पुलिस में सिपाही बनकर जबलपुर में पदस्थ है।

48 साल के कैलाश वारिवा के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। पुत्री अलका वारिबा ने शासकीय एमजीएम कॉलेज से 2021 में बीएससी कम्प्यूटर की शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद पुलिस की भर्ती के लिए आवेदन किया। आज वह मध्य प्रदेश पुलिस की महिला आरक्षक है और जबलपुर में पदस्थ है। अलका की एक बहन 12 वीं क्लास पढऩे के बाद घर पर है। दो भाइयों में बड़ा भाई मजदूरी करता है और छोटा अभी स्कूल में पढ़ रहा है। कैलाश की पत्नी मिनी आंगनवाड़ी में कार्यरत है।

एक पिता के नाते कैलाश की तमन्ना थी कि उनकी बेटी अलका वारिबा पढ़ लिख कर कोई अच्छी नौकरी कर ले। उनका सपना पूरा हुआ और अलका की मध्य प्रदेश पुलिस में नौकरी लग गई। निश्चित इटारसी की छात्राओं के लिए आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए अलका एक प्रेरणा है। जो आर्थिक अभावों के बावजूद भी पढ़ती रही और उसे सफलता मिली।

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