4 नवंबर को रखा जाएगा देवी मां के इस रूप ने की थी करवा चौथ की शुरुआत
इटारसी। करवा चौथ (Karwa Chouth) का त्योहार 4 नबंवर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं बड़ी ही श्रृद्धा के साथ पूजापाठ की तैयारी में लग जाती है। लेकिन कुछ नदानी के चलते महिलाएं वो समान रखना भूल जाती है जो इस पूजा के अहम हिस्से माने जाते है। जिसके बिना करवा चौथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। महिलाएं सारा दिन बिना खाना पानी के व्रंत (Vrat) रखती है और शाम को समूह या अपने घरों में चांद और पति की पूजा कर पानी पीति है। करवा चैथ की पूजा के बारे में विधान भी यही है कि इसे सामान्य तौर पर अकेले नहीं किया जाता है। करवा चैथ की पूजा में ऐसे ही कुछ जरूरी चीजें है। जिसका होना बहुत जरूरी होता है। आइए जानते हैं इनके बारे में….
सींक का होना जरूरी
करवा चौथ की पूजा में कथा सुनते समय और पूजा करते समय सींक अपने पास जरूर रखें। ये सींक मां करवा की उस शक्ति का प्रतीक हैं, जिसके बल पर उन्होंने यमराज के सहयोगी भगवान चित्रगुप्त के खाते के पन्नों को उड़ा दिया था।
करवा का महत्व
करवा चौथ की पूजा में करवा का होना बहुत जरूरी होता है। यह करवा उस नदी का प्रतीक है, जिसमें मां करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। आजकल बाजार में पूजा के लिए काफी सुंदर करवे आपको मिल सकते हैं।
करवा माता की तस्वीर
करवा चौथ की पूजा में माता की तस्वीर लगाई जाती है यह तस्वीर अन्य देवियों की तुलना में बहुत अलग होती है। इनकी तस्वीर में ही महिलाओं को वो उर्जा मिलती है जो उन्हें इस व्रत के दौरान मजबूती के साथ खड़े किए रहती है। इस तस्वीर में चंद्रमा और सूरज की उपस्थिति के साथ उनके महत्व का का एहसास होता है।
दीपक के बिना अधुरी है पूजा
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा दीपक के बिना अधुरी होती। इसलिए भी दीपक जरूरी है क्योंकि यह हमारे ध्यान को केंद्रित कर एकाग्रता बढ़ाता है। साथ ही इस पूजा में दीपक की लौ, जीवन ज्योति का प्रतीक होती है।
छलनी का है विशेष महत्व
इसी तरह से इस व्रत में छलनी का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना गया है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में शीतलता, सुंदरता, प्रेम और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
लोटे का यह है अर्थ
चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए जरूरी होता है लोटा। पूजा के दौरान लोटे में जल भरकर रखते हैं। यह जल चंद्रमा को हमारे भाव समर्पित करने का एक माध्यम है। वैसे भी हर पूजा में कलश को गणेशजी के रूप में स्थापित किया जाता है।
पूजा की एक थाली में
दीये, फल और जल से भरा लोटा रखने के साथ गंगाजल, सिंदूर, महावर, चूड़ी, कंघी, बिंदी चुनरी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही कांस की 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद और चीनी को भी जरूर पूजा सामग्री में रखें।