इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर (Shri Durga Navagraha Temple) में द्वादश पार्थिव ज्योर्तिलिंग का पूजन, अभिषेक एवं एक लाख रूद्रि निर्माण चल रहा है। जिसके तहत गुरूवार को काशी विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga) का पूजन एवं अभिषेक मुख्य यजमान राजीव रेखा गौर (Rajeev Rekha Gaur), अभिषेक हर्षिता मौर्य (Abhishek Harshita Maurya) ने किया।
मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे (Acharya Pt. Vinod Dubey) बताया कि यह प्राचीन तीर्थ स्थान वाराणसी (Varanasi) कहलाता है। क्योंकि यह वारूणी और अस्सी नदियों का संगम स्थल है जो गंगाजी का मिलन केंद्र हैं। बनारस के अलावा इस नगरी का नाम काशी भी है। यहां पहले काश जाति के लोग रहते थे। उन्होंने कहा कि काशी नगरी मोक्ष का प्रकाश और ज्ञान दात्री है। यहां के निवासी किसी भी तीर्थ स्थान की यात्रा किए बिना ही मुक्ति के हकदार हो जाते है। काशी में जिनके प्राण जाते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता ही है, और यहां पर किए सत्कर्त कई कल्पों तक समाप्त नहीं होते है।
यहां देवता भी मृत्यु की कामना करते हैं। वैसे तो बनारस में करीब 1500 मंदिर हैं लेकिन काशी के मंदिर में विश्वनाथ मंदिर का शिखर 100 फिट ऊंचा है। हिंदू महारानी और होल्कर राजवंश की अद्वितीय प्रतिभा अहिल्यादेवी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का कार्य पूर्ण कराया। काशी के बारे में कहा जाता है कि पूरी दुनिया प्रकृति विनाश में चली जावे लेकिन काशी बेची रहेगी। काशी के संरक्षक का दायित्व काल भैरव और दंडपानी निरंतर निभा रहे हैं। काशी क्षेत्र और विश्वनाथ ज्योर्तिलिंग विश्व का मोक्ष पाने के लिए काशी में आते हैं। आयोजन में अभिषेक पूजन पं. सत्येन्द्र पांडेय एवं पं. पीयूष पांडेय द्वारा कराया जा रहा है।