नज्म
छोड़ देंगे हम तेरी गलियों का फेरा,
गर तू दिल पर हाथ रख कर कह दे
कि कोई राब्ता नहीं अब हमसे।
दूर हो जाएंगे इश्क़ की महफ़िल से,
गर तू बिना अश्कों के कह दे
कि इख्लास नहीं हमसे।
हर सितम ज़माने का कुबूल है,
गर तू अजनबी बन कह दे
कि चाहत के धागे नहीं जुड़े हमसे।
– राब्ता – रिश्ता
– इख्लास – प्रेम
अदिति टंडन (Aditi Tandan)
आगरा