
कविता: लम्हा-लम्हा याद आता है….
लम्हा लम्हा याद आता है,
तेरे तबस्सुम का वो दिलकश अंदाज।
याद है अब तक मेरे इजहार पर,
तेरे इंकार का कातिलाना अंदाज।
हार गए तुझे दिलाकर यकीं पर,
न बदला तेरा बेरुखी का तल्ख़ अंदाज़।
तो देख हम हो रहे रुखसत जग से,
देखेगा ये जहां अब तेरा ग़म-ए-अंदाज़।
– अदिति टंडन(Aditi Tandan)