कविता: सिंदूरी सांझ का सूरज तुम्हारे ख्याल

सिंदूरी सांझ का सूरज तुम्हारे ख्याल।
दिल में अंगड़ाई लेते हैं तुम्हारे ख्याल।।
क्षितिज पर मिलते जमीं और आसमां,
सांसों में समाते हैं तुम्हारे ख्याल।
अटारी पर रोशन होता दिया तो देखिए
दर पर दस्तक देते हैं तुम्हारे ख्याल।
फलक पर झिलमिलाता आलम है
ख़्वाब में रवां होते हैं तुम्हारे ख्याल।
अदिति टंडन(Aditi Tandan)
आगरा
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