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केसला के संगठनों ने की अतिक्रमण के नाम पर आदिवासियों से मारपीट की निंदा

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इटारसी। किसान आदिवासी संगठन एवं समाजवादी जन परिषद ने बाबई ब्लॉक के खकरापुरा दंगपुरा में गरीब आदिवासी के साथ अतिक्रमण के नाम पर हटाने की कार्यवाही के दौरान की गई कथित मारपीट की निंदा की है। बाबई माखन नगर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम खाकरापुरा दंगपुरा में आदिवासी गरीब किसानों के साथ कथि मारपीट पर इन संगठनों के नेताओं ने कहा कि अतिक्रमण हटाते वक्त मौके पर लोगों ने अधिकारियों को न्याय अधिकार बताने की कोशिश की, तो आदिवासी फौजीलाल पिता शंकर के साथ डंडे से मारपीट की गई।

इसी प्रकार हल्कीबाई पत्नी चंद्रसिंह, बाबूलाल पिता हरिलाल, धीरन पिता नेपाल को भी लाठी से पीटा गया जिनके दोनों पैरों में अंदरूनी चोट है और उससे चलते नहीं बन रहा है। दंगपुरा के किसानों के बताए अनुसार उस जमीन पर सन् 2003 से काबिज थे, जिस पर उन्होंने वन अधिकार का दावा भी लगाया था, उसका कोई निराकरण भी नहीं किया गया। उस जमीन को लेकर अतिक्रमण के नाम पर वन विभाग ने लोगों को पेशी भी करवाई जो 6 साल चली।

उसके बाद इस जमीन को लेकर 6 जनवरी 2023 को प्रकाशित अधिसूचना 2603/ 829168/ 2022/ 10 -3 दिनांक 26/12/2022 द्वारा कक्ष क्रमांक आरअप 193 को 66 हैक्टेयर रकबा को वन कानून के तहत निर्वाणीकृत घोषित किया गया। इसके आदेश को मानते हुए उक्त दिनांक से यह भूमि राजस्व को हस्तांतरित मानी गई तथा वन विभाग के वन मंडल अधिकारी (वन मंडल सामान्य) (के द्वारा) मयंक गुर्जर के द्वारा आदिवासी किसानों को पत्र के माध्यम से कहा कि की आप लोगों पर लगाए हुए, और बेदखली के केस को निरस्त किया जाता है।

राष्ट्रीय सचिव समाजवादी जन परिषद फागराम ने कहा कि जब वह भूमि राजस्व में आ गई तब उन्हें जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा कहा जा रहा है, भू-स्वामित्व योजना के तहत जीविकोपार्जन हेतु उन हितग्राहियों को वह भूमि का अधिकार पत्र दिया जाना चाहिए था। परंतु यहां पर राजस्व और वन विभाग के अमले ने यह कार्यवाही की तथा जनप्रतिनिधि, अधिकारी देखते रहे। एक तरफ जल जंगल जमीन गरीब आदिवासियों का है, पर जमीन पर तो कुछ ओर ही दिखाई दे रहा है।

फागराम ने कहा कि आदिवासियों को आपस में लड़ाया जा रहा है। आदिवासी वर्ग के लोग उच्च पद पर बैठे हैं, आदिवासियों पर जुल्म बढ़ता जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि गरीब आदिवासियों को जिंदा रहने के लिए अच्छा काम व सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराया जाए। किसान आदिवासी संगठन के कपिल खंडेलवार ने कहा कि एक तरफ सैकड़ों एकड़ जमीन कंपनियों को मुनाफा कमाने के लिए दी जा रही है, दूसरी तरफ यहां के मूल आदिवासियों से उनकी जमीन छुड़ाई जा रही है, यह ठीक नहीं है।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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