झरोखा:पंकज पटेरिया। प्रख्यात स्वतंत्रता सैलानी और सियासत जगत के किंग मेकर के रूप में जाने जाने वाले वयोवृद्ध गांधीवादी नेता बाबू करण सिंह जी तोमर का विगत दिनों इटारसी में निधन हो गया। तोमर साहब गांधी युग की वह शख्सियत थे। जिन्हें सभी पार्टी के प्रतिष्ठित लोग सम्मान देते थे। इटारसी में प्रख्यात गीतकार विपिन जोशी को लाने में उनकी अहम भूमिका थी। दादा माखनलाल चतुर्वेदी जी के कर्मवीर मेंं काम करते हुए विपिन जी को इटारसी आने का प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी सुकुमार पगारे के साथ तोमर साहब ने न्योता दिया था। बाद में उन्हें गांधी वाचनालय में ग्रंथपाल पर नियुक्ति दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका थी। आमतौर पर तोमर साहब को छोटे बड़े सभी बाबूजी कहां करते थे। गोवा आंदोलन में भी उनकी हिस्सेदारी थी। जमीन से जुड़े एक ऐसे जन नेता थे जिनका विभिन्न पार्टियों के प्रतिष्ठित राजनेताओं से सीधा संपर्क था। कांग्रेसी शासन काल में तात्कालिक मुख्यमंत्री से विभिन्न मुद्दों पर वे सीधे चर्चा किया करते थे और आम हित की समस्याओं के निदान के लिए सर्वसम्मति बनाने में प्रभावी पहल करते थे। मुझे स्मरण है कि संविद शासन काल में इटारसी में किसी महत्वपूर्ण काम में मुख्य अतिथि के रूप में तात्कालिक मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह को इटारसी नगर पालिका के तात्कालिक नगर पालिका अध्यक्ष बाबू खुशी लाल गौर आमंत्रित करना चाहते थे। तब उन्होंने तोमर साहब को कहा था कि आप यह काम कर सकते हैं। उनके आग्रह को स्वीकारते हुए बाबूजी तुरंत भोपाल गए और गोविंद नारायण सिंह जी को जब सीएम साहब को लेकर बाबूजी इटारसी आए तो सीएम ने उनसे कहा यहां मेरे गुरु छैल बिहारी पांडे जी रहते हैं। आप उन्हें जानते हैं, यह बाबूजी ने स्वीकृति दी तो वे सीएम को लेकर कीर्ति शेष एडवोकेट और सुविख्यात कवि पांडे जी से मिलाने उनके निवास पर पहुंचे थे। होशंगाबाद में स्वर्गीय ऊर्जावान कलेक्टर श्रीमती किरण विजय सिंह के सेवाकाल में जब दादा हजारीलाल जी रघुवंशी मंत्री थे, तभी उचित मूल्य की दुकान आवंटित की जा रही थी, कुछ बेरोजगार युवक ने बाबू जी से मिलकर निवेदन किया की उन्हें भी इसका लाभ मिले तो वे अपनी जीव का यापन कर सकें। तब बाबू जी ने ईमानदारी की हिदायत देकर उचित मूल्य दुकान पहल कर आवंटित करवाई थी। मेरी एक अग्रज स्वर्गीय पंडित ब्रजकिशोर पटेरिया जो गृहमंत्री थे के प्रति भी बाबूजी अग्रज वट आदर भाव रखते थे। मेरा बचपन इटारसी में बीता है। फ्रेंड्स स्कूल में पढ़ते हुए उनके पुत्र दिलीप सिंह मेरे सहपाठी थे। हम लोग अक्सर उनके यहां बैठकर पढ़ते थे। मेरे परिवार से उनका स्नेहिल संबंध था। शताब्दी शिखर के समीप पहुंचते बाबूजी हमारे बीच से विदा होकर परलोक वासी हो गए वे, हमारी स्मृति में सदा रहेंगे।
पंकज पटेरिया संपादक शब्द ध्वज होशंगाबाद
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