- जिस सिरोंज में पैदा हुए, वही सुपुर्द खाक हुये
इटारसी। इटारसी की सरजमीं को जिन्होंने कर्मभूमि बनाया। ऐसे गजलों के बादशाह उर्दू शिक्षक साजिद सिरोंजवी अब हमारे बीच नहीं रहे। पिछले कुछ दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे थे। सन् 2016 में आंगन गजलों का पुस्तक का प्रकाशन श्रीमती शांति देवी महादेव पगारे स्मृति समिति ने किया था।
श्रीमती शांतिदेवी महादेव पगारे स्मृति समिति के प्रमोद पगारे ने बताया कि सौ पृष्ठ की पुस्तक में उन्होंने श्रेष्ठ गजलें लिखी थीं। स्वर्गीय साजिद सिरोजवी उर्दू मीडियम से एमए, हाफिज, कुरान, फारसी एवं हिंदी के अच्छे जानकार थे। उन्होंने फलाह स्कूल एवं शासकीय मेहरा गांव स्कूल में उर्दू शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने देश के कई मुशायरों एवं कवि सम्मेलन में शिरकत की उन्हें कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
उन्होंने अपनी पुस्तक आंगन गजलों का, की भूमिका में स्वयं लिखा था, माना के मौत आएगी, मर जाऊंगा, लेकिन लोगों के दरम्यां गजल छोड़ जाऊंगा। एक श्रेष्ठ गजल गायक और नेक इंसान हमारे बीच में नहीं रहे।