इटारसी। विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने कल नये पीआईसीयू के लिए निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ करने के निर्देश दिये थे। कल त्रैमाचिक बैठक में मिले निर्देश के बाद आज अधिकारियों ने ले-आउट डाल दिया है, अब जल्द कार्य प्रारंभ हो सकेगा। आज स्वास्थ्य विभाग से कार्यपालन यंत्री शशि कुमार बंसल और सहायक यंत्री धीरेन्द्र कुमार जैन ने आकर ले आउट डाला।
इस अवसर पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरके चौधरी और विधायक प्रतिनिधि भरत वर्मा, ठेकेदार प्रशांत अग्रवाल भी मौजूद रहे। बता दें कि कल ही मंडी के सभागार में हुई त्रैमासिक बैठक में विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने ठेकेदार प्रशांत अग्रवाल से काम की जानकारी ली तो पता चला कि मटेरियल आ चुका है, केवल ले आउट का इंतजार है, विधायक ने तत्काल विभाग के अधिकारियों को फोन पर ले-आउट डालने निर्देश दिये थे। आज दूसरे दिन ही अधिकारियों ने आकर ले-आउट डाला, इससे काम प्रारंभ हो सकेगा।
जीवन रक्षक इकाई की सौगात
गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल में इसके साथ ही बच्चों की जीवन रक्षक इकाई की सौगात मिल जाएगी। भवन बन जाने के बाद जल्द ही परिसर में करीब 1 करोड़, 68 लाख रुपए की लागत से शिशु गहन चिकित्सा केन्द्र (पीआइसीयू) की स्थापना होगी। इस यूनिट में एक माह से 12 साल तक के बच्चों को गंभीर हालत में आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी, अभी तक यहां नवजात गहन चिकित्सा इकाई एसएनसीयू संचालित हो रही है, जिसमें सिर्फ एक माह की आयु के बच्चे ही रखे जा सकते हैं।
यह रहेगी सुविधा
चिकित्सकों के अनुसार इस इकाई में 12 साल आयु तक के बच्चों की निमोनिया, झटके लगने, डिहाइड्रेशन या किसी भी इमरजेंसी में अत्याधुनिक मशीनों में तापमान बनाकर रखा जा सकेगा। इस गहन चिकित्सा इकाई में सक्शन मशीन, आक्सीजन मशीन, पल्स-हार्ट मीटर, सेन्ट्रल आक्सीजन सप्लाई, मानीटर, बच्चों के बीपी-शुगर यंत्र समेत बच्चों के इलाज में काम आने वाली अत्याधुनिक मशीनें रहेंगी। फिलहाल यहां 12 बिस्तरीय क्षमता वाली इकाई रहेगी, भविष्य में इसे बढ़ाया जा सकता है। भविष्य में इस इकाई को मिनी वेंटिलेटर भी मिलने की उम्मीद है।
वरदान होगा बच्चों के लिए
बता दें कि ऐसे पीआइसीयू बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में ही होते हैं। हालांकि जिला अस्पताल में भी यह इकाई संचालित है, लेकिन हालत बिगडऩे पर बच्चों को रेफर करने का समय तक नहीं मिलता। सरकारी अस्पताल में पीआइसीयू तैयार होने के बाद 1 माह से 12 साल तक के बच्चों को यहां भर्ती किया जाएगा। सीधे तौर पर इस इकाई से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकेगी।