साहित्य का सामाजिक सरोकार हो : विकास दवे
– नव रचनाकारों की दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
सोहागपुर (राजेश शुक्ला)। साहित्य का सामाजिक सरोकार होना चाहिए। इसके साथ ही साहित्य में संवेदनशीलता भी जरूरी है। जिस पर हर रचनाकार को ध्यान देना होगा। उक्त बात साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे ने नव रचनाकारों की दो दिवसीय कार्यशाला अरण्या के दौरान कही।
दरअसल साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति के रचनाकारों के लिए स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि साहित्य परिषद के अध्यक्ष पंडित राजेंद्र सहरिया (Rajendra Sahariya)रहे। मुख्य अतिथि एवं साहित्य अकादमी के विकास दवे (Vikas Dave) राकेश सिंह, संतोष तिवारी खंडवा, अशोक जमनानी होशंगाबाद (Ashok Jumnani), डॉ कृपा शंकर चौबे भोपाल, डॉक्टर मयंक चतुर्वेदी भोपाल,डॉ पुंजा लाल नीनामा महू आदि रचनाकारों ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन कर इस कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर समिति के राजा भैया पटेल जय प्रकाश माहेश्वरी कृष्णा पालीवाल प्राचार्य राहुल देव ठाकरे प्रधानाचार्य प्रेम नारायण शुक्ला आदि मौजूद थे।
कहानी लेखन के मुख्य 6 तत्व होते हैं
प्रथम सत्र के वक्ता कहानीकार अशोक जमनानी ने बच्चों से संवाद करते हुए बताया कि आसपास के पर्यावास से साहित्य में रस उत्पन्न होता है। आपने कहानी के 6 तत्व कथानक पर्यावास संवाद कार्यशैली उद्देश के बारे में बच्चों को विस्तृत जानकारी दी। कहानीकार श्री जमनानी ने नव रचनाकारों से संवाद कर अपनी कहानी स्वेटर के व्यवहारिक लेखन को समझाया।
द्वितीय सत्र में काव्य लेखन के विशेषज्ञ डॉ संतोष तिवारी ने रचनाकारों को बताया संवेदना से कविता का जन्म होता है। उधर पत्रकारिता के बारे में जानकारी देते हुए डॉ मयंक चतुर्वेदी दे बच्चों को समाचार लिखने के तरीके बताएं। रति शास्त्र में सामाजिक सरोकार के बारे में रचनाकार को डॉ प्रभा शंकर चौबे ने जानकारी दी वहीं सामाजिक समरसता पर पुंजा लाल निनामा ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल संचालन अमित बिल्लोरे ने किया। रचनाकारों की कार्यशाला के दौरान साहित्य परिषद के पंडित शरद व्यास राजेश शुक्ला जीवन दुबे संजय दीक्षित प्रबुद्ध दुबे श्वेतल दुबे सौरव सोनी रवि नागेश शैलेंद्र शर्मा प्रशिक्षण में पूरे समय उपस्थित रहे।