प्रदेश के अनछुए पर्यटन स्थलों का होगा विकास

प्रदेश के अनछुए पर्यटन स्थलों का होगा विकास

प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर से समृद्ध श्योपुर से होगा कार्यशाला का शुभारंभ

भोपाल। कोरोना काल (Corona era) में पर्यटकों का रुझान बदला है, लोग दूरस्थ और भीड़-भाड़ स्थलों की अपेक्षा नये और शांत वातावरण में जाना पसंद कर रहे हैं। प्राकृतिक, पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहरों (Historical heritage) से समृद्ध शांति के टापू मध्यप्रदेश की पर्यटन में तेजी से लोकप्रियता बढ़ रही है। प्रमुख सचिव पर्यटन एवं टूरिज्म बोर्ड (Tourism and Tourism Board) के प्रबंध संचालक शिवशेखर शुक्ला (Managing Director Shivasekhar Shukla) ने स्थानीय पर्यटन संभावनाओं को चिन्हित करने के लिये सभी संभाग मुख्यालयों पर कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये हैं। पर्यटन विभाग द्वारा जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषदों के माध्यम से आयोजित होने वाली इन कार्यशालाओं की श्रंखला में पहली बैठक इसी माह श्योपुर में होगी। कार्यशाला में सवाईमाधोपुर, ग्वालियर, शिवपुरी आदि के टूर ऑपरेटर, ब्लागर, इन्फ्लूएंसर आदि भाग लेंगे। इससे प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों से भरपूर श्योपुर जिले को देश और प्रदेश स्तर पर महत्व मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।

राजस्थान के कोटा, बारा और सवाईमाधोपुर जिलों से लगी हुई सीमाओं वाले श्योपुर जिले का लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र वनों से आच्छादित है। यहां बहने वाली कूनो, चंबल, सीप, क्वारी नदी खूबसूरती में चार चाँद लगाती हैं। सड़क और रेल नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा जिला नवीं-दसवीं शताब्दी से ही अनेक राजाओं की राजधानी रहा है। गोंड राजाओं का किला आज भी आकर्षण का केन्द्र है। जिले के पर्यटन स्थलों को चिन्हित कर दिल्ली, आगरा, जयपुर आदि से आने वाले पर्यटकों के लिये विकसित किया जायेगा। राजस्थान के राणथंबौर नेशनल पार्क आने वाले पर्यटकों को भी नजदीक ही नये-नये पर्यटन क्षेत्र मिल सकेंगे।

कभी सिंहों से आबाद रह चुके कूनो राष्ट्रीय उद्यान को पुन: गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान से सिंह लाकर पुन: बसाहट के लिये तैयार किया गया है। यहां तेंदुआ, जंगली बिल्ली, भालू, भेड़िया, सियार, लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, चिंकारा, बारहसिंघा, कृष्णमृह, जंगली सूअर, सेही, मगर, घड़ियाल, कछुए आदि वन्यप्राणी पाये जाते हैं। साथ ही लगभग 130 तरह की पछी प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं। ऐतिहासिक स्थल डोब कुण्ड, बड़ौदा, श्योपुर में ध्रुव कुण्ड, गर्म एवं ठंडे पानी का कुण्ड चंबल, सीप और बनास नदी के संगम पर रामेश्वर और विजयपुर में स्थित मुस्लिम आस्था प्रमुख केन्द्र भी हैं।

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