– (भोपाल से पंकज पटेरिया) :
राजधानी भोपाल से ४४ किमी दूर रायसेन जिले की तहसील के उदयपुरा गांव, नर्मदा घाट पर स्थित बोरास (Boras Ghaat) एक ऐसी पावन जगह है जहां मकर संक्रांति के पावन अवसर पर भोपाल विलीनीकरण आंदोलन में शहीद हुए 4 अमर सपूतों को पुण्य स्मृति में मेला आयोजित होता है और उनका पुण्य स्मरण कर श्रद्धा सुमनअर्पित किए जाते है। उन अमर शहीद के नाम छोटे लाल, धन सिंह, मंगल सिंह और विशाल सिंह थे।
दरअसल 1947 में जब देश आजाद हुआ था भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह ने भारत में विलीन होने से इंकार किया था। प्रजा मंडल के नेतृत्व में विलीनीकरण का शंखनाद कर विशाल आंदोलन किया गया था। जिसमें भोपाल रियासत के आंदोलनकारी सहित रायसेन जिले के अनेक नौजवानो ने जोश और जुनून के सुलगते जज्बे के साथ सिंह गर्जना की थी। तभी उन्हें दबाने के लिए गोलीबारी की गई। सैकड़ों लोग घायल हुए थे और इसी बोरास घाट पर चार लोग शहीद हो गए थे।
किस्सा यूं है जब हाथ में तिरंगा फहराने के लिए छोटेलाल जान की परवाह किये बिना दौड़ रहा था तो उस पर अधाधुंध चलती गोली का वह नौजवान शिकार हुआ, लेकिन नीचे गिरने के पहले धन सिंह ने तिरंगा थाम लिया। उसके साथ विशाल सिंह भी शामिल हो गए लेकिन सिपाहियो की गोलीबारी से वे बच न सके। खुद कुर्बान हो गए पर तिरंगा नीचे नहीं होने दिया। उन्हीं की याद में हर साल यहां मकर संक्रांति पर शानदार मकर शहीद मेला लगता है।
मकर संक्रांति पर शहीद संक्रांति समारोह जरूर आयोजित होगा लेकिन कोरोना के चलते बतौर कोरोना एतिहात मेला नहीं लगा। ललन श्रीवास्तव बताते शहीद स्मारक १४ जनवरी १९८४ को बोरास घाट पर स्थापित किया गया।तब ही से यह उल्लास से हम मानते आ रहें है। यहां उल्लेखनीय है कि गोलीबारी की दुखद घटना के बाद लोह पुरुष वल्लभ भाई पटेल, बीपी मैमन को भोपाल भेजा। तब कहीं नवाब ने विलीनीकरण समझौते पर विवश होकर हस्ताक्षर करे और १ जून १९४९ को भोपाल रियासत भारत गणराज में शामिल हुआ।
शहीदों को हमारा आज के दिन शत शत नमन…!