मन को स्थिर करने के चार उपाय है- आचार्य परसाई

मन को स्थिर करने के चार उपाय है- आचार्य परसाई

होशंगाबाद। समाजसेवी स्व इंद्रदत्त दुबे जी की पुण्य स्मृति में जगदीश मंदिर धर्मशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह में तृतीय दिन आचार्य पुष्कर परसाई ने द्वितीय स्कन्द पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा मन को स्थिर करने के चार उपाय है पहला आसन को जीते- क्योकि आसन सिद्धि ही प्रभू प्राप्त करवाती है। दूसरा उपाय बताया शवास को जीते,,प्रति दिन एक सामान्य मनुष्य मगभग 72,600 बार श्वास लेता है। परंतु प्राणायाम के माध्यम से श्वास पर नियंत्रण करे क्योकि हमें आयु वर्ष से नहीं श्वास से प्राप्त होती है। हम श्वास जितना नियंत्रण करेंगे उतनी आयु वृद्धि होगी पहले हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष इसलिए ही जीते थे की उन्होंने अपनी श्वास पर नियंत्रण था। तीसरा संग को जीते। संग का जीवन में बहुत प्रभाव पड़ता है। आप किसी किसान के साथ छः महीने रहेंगे तो पता चल जायेगा खेती कैसे करनी है। वैसे है अगर आप चोर के साथ रहेंगे तो आप चोरी कैसे करनी है ज्ञान हो जायेंगा ये संग का ही तो प्रभाव है ठीक इस तरह किसी संत के साथ रहने से प्रभु प्राप्ति कैसे होगी ये ज्ञान प्राप्त हो जायेगा।

चौथा उपाय बताया इंद्रियों को जीते। इंद्रियों पर नियंत्रण करे धीरे धीरे क्रोध को जीते गृहस्थ धर्म में रहते हुए भी काम पर विजय प्राप्त करें। विस्तार करते हुए आचार्य पुष्कर जी ने कहा कि हनुमान जी जब लंका गए तो देखा कि वहाँ विभीषण के निवास पर हरि मंदिर बना हुआ था। वहां रामायुध से अंकित था। किन्तु आज घर में अतिथि कक्ष पढ़ाई कक्ष सहित कई कक्ष होते है। भगवान् का कक्ष का स्थान रखना हम भूल गए है। किन्तु भवन घर तब बनता है जब घर में गौ माता हों घर में तुलसी का पौधा हो घर मंदिर बनता है जब घर के प्रवेश पर रामायुध अंकित हो और जब घर मंदिर बनजाता है तब उसमे वास्तु दोष और अन्य बाधाये नहीं रहती क्योकि वास्तु दोष तो घर में होता है मंदिर में नहीं ।इसके पश्चात आचार्य पुस्कर जी ने देवी मदालसा का चरित्र सुनाते हुए कहा माता चाहे तो पुत्र को संत बना दे माता चाहे तो पुत्र को चोर डाकू बना दे। आचार्य श्री ने कलिसंतोपर्णोपनिषद् का उदाहरण देते हुए कहा कि हरे राम हरे कृष्ण का जो जाप करते है वे कलयुग के प्रभाव से सदैव अप्रभावित रहते हैं। कथा प्रतिदिन 1 बजे से 4 बजे तक हो रही है।

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