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मन्ना डे : एक ऐसा स्वर जो शास्त्रीयता और लोकप्रियता का संगम था

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आज 24 अक्टूबर, भारतीय सिनेमा के उस महान पार्श्व गायक की पुण्यतिथि है, जिन्हें ‘सुरों का जादूगर’ और ‘शास्त्रीय संगीत सम्राट’ कहा जाता था। प्रबोध चन्द्र डे, जिन्हें दुनिया मन्ना डे के नाम से जानती है, उनका संगीत सफर भारतीय संगीत के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है।

उपयोगी जानकारी और उनकी विरासत

शास्त्रीय संगीत की मजबूत नींव

  • गुरु शिष्य परंपरा : मन्ना डे का जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता में हुआ। उन्हें संगीत की शुरुआती शिक्षा अपने चाचा, प्रसिद्ध संगीताचार्य कृष्ण चंद्र डे से मिली, जो स्वयं एक प्रतिष्ठित गायक थे।
  • अद्वितीय गायन शैली : मन्ना डे ने शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा ली थी, जिसका असर उनके हर गाने में साफ झलकता है। जहां अन्य गायक अपनी कोमलता या रोमांटिक गीतों के लिए जाने जाते थे, वहीं मन्ना डे हिंदी सिनेमा में राग आधारित और चुनौतीपूर्ण गीतों के लिए संगीतकारों की पहली पसंद थे। उनके गाए मुश्किल तरानों को आज भी किसी अन्य गायक के लिए गाना एक बड़ी चुनौती माना जाता है।

बहुमुखी प्रतिभा और विविधता

मन्ना डे ने केवल शास्त्रीय या भजन नहीं गाए। 50 वर्षों के करियर में, उन्होंने 4000 से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी और हर विधा में अपनी महारत साबित की।

गीतों का प्रकार

  • शास्त्रीय/चुनौतीपूर्ण : केतकी गुलाब जूही, लागा चुनरी में दाग, तू प्यार का सागर है (उनकी गायन कला की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं)।
  • कॉमेडी/मजाकिया : एक चतुर नार करके सिंगार, अय मेरी जोहरा जबीं (उनकी आवाज की बहुमुखी रेंज और सहजता दिखाते हैं)।
  • गहन/भावनात्मक : ऐ मेरे प्यारे वतन, कसमे वादे प्यार वफा, जिंदगी कैसी है पहेली (उनके भावनात्मक जुड़ाव और गीत के मर्म को पकडऩे की क्षमता को दर्शाते हैं)।
  • युगल गीत : उन्होंने मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और लता मंगेशकर जैसे दिग्गजों के साथ कई यादगार डुएट गाए, जहां उनकी आवाज ने अन्य गायकों के साथ एक अद्भुत तालमेल बिठाया।

सम्मान और पुरस्कार

मन्ना डे की कला के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जो उनकी महानता के प्रमाण हैं। पद्म श्री (1971), पद्म भूषण (2005) , दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2007) – भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान।

मन्ना डे को क्यों याद किया जाता है?

  • गीतों का स्थायित्व : उनके गीत आज भी उतने ही प्रासंगिक और लोकप्रिय हैं जितने दशकों पहले थे। उनकी आवाज कालजयी है।
  • शिक्षा और अनुशासन : उनका जीवन दर्शाता है कि संगीत में सफलता केवल प्रतिभा से नहीं, बल्कि गहन शिक्षा और कठोर अनुशासन से मिलती है।
  • एक मिसाल : वह उन गायकों के लिए एक मिसाल हैं जो शुद्ध शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय सिनेमा के साथ सफलतापूर्वक जोडऩा चाहते हैं।

मन्ना डे भले ही 24 अक्टूबर 2013 को दुनिया से विदा हो गए हों, लेकिन उनके गीत ‘तू प्यार का सागर है’ की तरह संगीत प्रेमियों के दिलों में हमेशा अमर रहेंगे। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उन्हें भारतीय संगीत में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद करते हैं।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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