Masik Shivratri 2023, जाने विशेष पूजन विधि, महत्व, आगामी Masik Shivratri की जानकारी, पूजन-सामग्री, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्र का जाप करें, Masik Shivratri Vrat Katha सम्पूर्ण जानकारी 2023
मासिक शिवरात्रि 2023 (Masik Shivratri 2023)
Masik Shivratri 2023 : हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष हर माह में एक शिवरात्रि आती हैं जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता हैं इस माह चैत्र मासिक शिवरात्रि 20 मार्च 2023, दिन सोमवार को मनाई जायेगी। मासिक शिवरात्रि का यह दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए विशेष दिन होता हैं।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर भगवान शिवजी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं और उनके जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती। जो भी व्यक्ति मासिक शिवरात्रि का व्रत करता हैं उस पर भगवान भोलेनाथ की कृपा-दृष्टि सदैव बनी रहती है। इस दिन भगवान शिवजी का अभिषेक करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि महत्व (Masik Shivratri Significance)
हिन्दू धर्म में प्रत्येक मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व होता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत रख कर पूर्ण भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करने से जीवन मे चल रही की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यदि कुंवारी कन्या सच्चे मन से प्रति माह मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करती है तो उसे मनचाहा वर मिलता है। और के विवाह में आने वाली सभी अड़चनें दूर हो जाती है।
वर्ष 2023 में मासिक शिवरात्रि कब-कब हैं (Upcoming Masik Shivratri 2023)
(Masik Shivratri) मासिक शिवरात्रि | महीना | दिनांक / दिन |
चैत्र मासिक शिवरात्रि | मार्च | 20 मार्च 2023, सोमवार |
वैशाख मासिक शिवरात्रि | अप्रैल | 18 अप्रैल 2023, मंगलवार |
ज्येष्ठ मासिक शिवरात्रि | मई | 17 मई 2023, बुधवार |
आषाढ़ मासिक शिवरात्रि | जून | 16 जून 2023, शुक्रवार |
सावन मासिक शिवरात्रि | जुलाई | 15 जुलाई 2023, शनिवार |
अधिक माह, मासिक शिवरात्र | अगस्त | 14 अगस्त 2023, सोमवार |
भाद्रपद मासिक शिवरात्रि | सितंबर | 13 सितंबर 2023, बुधवार |
अश्विन मासिक शिवरात्रि | अक्टूबर | 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार |
कार्तिक मासिक शिवरात्रि | नवंबर | 11 नवंबर 2023, शनिवार |
मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि | दिसंबर | 11 दिसंबर 2023, सोमवार |
मासिक शिवरात्रि पूजन-सामग्री (Masik Shivratri Worship Material)
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, कुशासन, दही, दूध शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, कपूर, धूप, दीप, रूई, भगवान शिव और माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
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मासिक शिवरात्रि पूजा और व्रत विधि (Masik Shivratri Puja or vrat vidhi)
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि वाले दिन भगवान शिव की पूजा अर्धरात्रि के समय की जाती है।
- शिवरात्रि के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- सुबह प्रात: मंदिर में जाकर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- रुद्राभिषेक के लिए गंगाजल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, आदि को सामग्री में शामिल करें।
- फिर शिवलिंग पर चंदन का तिलक करें और मोली, पुष्म, बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल, कपूर, फल आदि अर्पित करें।
- धूप, दीप, फल और फूल चढ़ाकर भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण करे और भगवान शिव की कथा कर आरती करें।
- अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्र का जाप करे (Chant these mantras to please Lord Shiva Masik Shivratri)
ॐ नमः शिवाय
प्रौं ह्रीं ठः
ऊर्ध्व भू फट्
इं क्षं मं औं अं
नमो नीलकण्ठाय
ॐ पार्वतीपतये नमः
ॐ ह्रीं ह्रौं नमःशिवाय
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
ॐ नमःशिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमःॐ
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha)
पुराने समय में किसी जंगल में गुरुद्रुव नाम का शिकारी रहता था, जो अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए जंगली-जानवरों का शिकार करता था। एक दिन सावन शिवरात्रि के दिन जब गुरुद्रुव शिकार के लिए गया तो उसे एक भी शिकार नहीं मिला। जिससे वह पूरा दिन भूखा रहा जिसके कारण उसका सावन शिवरात्रि का व्रत पूर्ण हो गया।
सूर्यास्त होने पर वह एक तलाब के पास गया और थोड़ा पानी लेकर बेलपत्र के पेड पर बैठ गया उसे उम्मीद थी कोई न कोई शिकार उसे जरूर मिलेगा। उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग रखा था, जो बेलपत्र से ढका होने के कारण उसे दिख नहीं पा रहा था। कुछ समय बीतने बाद उसने दिखा की एक हिरणी वहां पानी पीने के लिए आया हैं उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण लगाया।
ऐसा करने से कुछ बेलपत्र और जल की कुछ बुँदे नीचे शिवलिंग पर गिर गई और अनजाने में शिकारी के हाथ से भगवान शिव की पूजा हो गयी। तभी पत्तों की आवाज़ से हिरणी ने जब ऊपर देखा तो कांपते हुऐ शिकारी से बोली मुझे मत मारो। शिकारी बोला मैं और मेरा परिवार भूखा हैं, इसलिए तुम्हें नहीं छोड़ सकता।
तभी हिरणी शिकारी से बोली मेरे भी छोटे-छोटे बच्चे हैं जो मेरा वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं। मैं उन्हें पहले अपने पति के पास छोड आऊं फिर तुम मुझे मार देना मैं जल्दी ही लौट आउंगी और विशवास दिलाने के लिए बौला अगर लौट कर नही आऊं तो मुझे वह पाप लगे जो विश्वासघाती को लगता हैं। हिरणी के विश्वास दिलाने पर शिकारी ने उसे जाने दिया और हिरणी वहां से चली गई।
थोडी देर बाद शिकारी ने देखा कि एक मोटा-ताजा हिरण जल पीने वहां आया हैं उसने फिर से अपने धनुष पर बाण लगया और फिर से अनजाने में पेड़ से कुछ जल और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ गए इस प्रकार शिकारी की दूसरे पहर की पूजा भी हो गयी। धनुष पर बाण चढ़ा देख हिरण ने पूछा यह तुम क्या कर रहे हो मैं घर पर अपने बच्चों को छोड़ कर आया हूँ।
मुझे इतना समय दे दो कि मैं अपने बच्चों को पानी पिलाकर लौट आऊं तुम मुझ पर विश्वास रखो शिकारी ने हिरण को जाने दिया हिरण जल पीकर वहां से चला गया अब दोनों हिरण घर जाकर जब इकठ्ठा हुए तो उनके साथ हुई घटना एक दूसरे को सुनाते हुए बोले हमें जल्द ही शिकारी के पास लौटना हें।
अपने बच्चों को समझाकर जब वह चलने को तैयार हुए तो हिरणी बोली मैं शिकारी के पास जाउंगी आप बच्चों का ख्याल रखना इस पर हिरण बोला माँ के सिवाय बच्चों को कोई भी नहीं संभाल सकता तुम यहीं रहो मैं शिकारी के पास जाऊंगा। तब हिरणी बोली- पति के बिना पत्नी का कैसा जीवन आप की मृत्यु के बाद मैं कैसे जीवित रह पाउंगी मैं वहां जाऊंगी।
तभी वह दोनों बच्चों को समझाकर वहां से चल दिये जब बच्चों ने देखा कि माता-पिता जा रहे हैं तो हम क्या करेंगे, तब वे भी उनके साथ चल दिए। वे सभी शिकारी के पास पहुंचे उन्हें देखकर शिकारी ने झट से धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे फिर से कुछ बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ गया जिससे शिकारी के तीसरे पहर की पूजा भी हो गयी।
जिससे कारण शिकारी के सभी पाप मिट गये और उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई। हिरण ने कहा हम सभी आ गये हैं आप हमे मार कर अपने परिवार की भूख मिटाए तब भगवान शंकर की कृपा से प्राप्त ज्ञान द्वारा शिकारी सोचने लगा कि मुझसे तो यह अज्ञानी पशु ज्ञानी हैं जो कि परोपकार परायण होकर अपना शरीर दे रहे हैं और मैं मनुष्य होकर भी हत्या कर रहा हूँ।
यह सोचकर शिकारी बोला तुम सभी धन्य हो तुम्हारा जीवन सफल हैं जाओ मैं तुम्हें नहीं मारूगा। शिकारी के यह कहते ही स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और बोले मैं तुमसे प्रसन्न हूँ मनचाहा वर मांगो यह सुनकर शिकारी भगवान शिव के चरणों पर गिर कर रोने लगा तभी भगवान शिव ने उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर गुरु नाम प्रदान दिया।
मासिक शिवरात्रि शिव आरती (Masik Shivratri Aarti)
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
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