गुड फ्राईडे पर यीशु के सात वचनों पर मनन , विशेष प्रार्थना सभा और आराधना हुई

गुड फ्राईडे पर यीशु के सात वचनों पर मनन , विशेष प्रार्थना सभा और आराधना हुई

इटारसी। मसीह समाज ने आज गुड फ्राईडे का पर्व मनाया। इस मौके पर गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थना और आराधना हुई। रविवार को इसी कड़ी में यीशु मसीह के फिर से जीवित होने की खुशी में मनाए जाने वाले ईस्टर पर्व को श्रद्धा के साथ मनाएगा।

आज शुक्रवार को फ्रेन्ड्स चर्च सहित अन्य चर्चेस में आराधना हुई। बता दें कि आज के दिन प्रभु यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, और यह दिन पवित्र शुक्रवार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विश्वासियों ने उपवास रखकर प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाये जाने और मनुष्यों के प्रति ईश्वर के प्रेम को याद किया। प्रभु यीशु से देश की तरक्की, शांति, सबके कल्याण के लिए प्रार्थना की गई। इस मौके पर फादर ने कहा कि आज के दिन प्रभु यीशु मानव जाति के कल्याण के लिए सूली पर चढ़े थे। यह दिन आराधना और क्षमादान का है। उन्होंने लोगों से शांति, प्रेम और दया का भाव रखते हुए सबके लिए भलाई का काम करने का आह्वान किया।

सात वाणियों पर मनन

आज गुड फ्राइडे का दिन विश्वभर के मसीही धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व का दिन है। प्रात:काल से ही गिरिजाघरों में विश्वासी परिवार के साथ प्रार्थनाओं में उपस्थित होकर प्रभु यीशु द्वारा अपनी मृत्यु के निकट क्रूस से कहे सात अंतिम वचनों पर विशेष मनन किया। ये वचन प्रभु यीशु की क्षमा, पश्चाताप, उद्धार, मानव संबंधों की विशेष चिंता, पाप पर परमेश्वर का सख्त दृष्टिकोण, पापों में संघर्ष करती हुई आत्माओं की प्यास व मानव जाति के लिए उद्धार के कार्य को पूर्ण कर अपनी आत्मा को परमेश्वर पिता को सौंप कर प्राण त्यागना आदि अद्भुत है।

यीशु द्वारा कहे मूल वचन

  • हे पिता, इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।
  • मैं तुझसे सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।
  • हे नारी, देख यह तेरा पुत्र (चेले यूहन्ना से) यह तेरी माता है।
  • हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया ?
  • मैं प्यासा हूं।
  • पूरा हुआ।
  • हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं।
    एसेम्बली ऑफ़ क्राइस्ट चर्च के पास्टर डॉ सुभाष पवार ने बताया कि नर्मदापुरम जिले के सभी गिरिजाघरों में प्रार्थना व उपवास के इन पुण्यवचनों पर विशेष वक्ताओं द्वारा मनन प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रभु यीशु ने अपने अवतरण के उद्देश्य को अपनी साढ़े तीन वर्ष की सेवा द्वारा पूरा किया तथा सारी मानवता के लिए पापों की क्षमा, उद्धार, शांति, खुशहाली, न्याय, सच्ची आराधना, परमेश्वर के भय में जीना, प्रभावी प्रार्थना का जीवन, अनंतजीवन, ईश्वरीय सिद्धांतानुसार अपना मानवीय सामाजिक जीवन जीने की कला, जगत की ज्योति बनना, अहिंसात्मक व्यवहार करना व अपने पड़ोसी के प्रति मानव सेवा को सर्वोपरि सेवा के रूप में अपनाने की कला पर स्वयं चलते हुए सभी को यह कला सिखा गए।
    सच में आज प्रभु यीशु की शिक्षाएं पूरी तरह से सामयिक, व्यावहारिक व आध्यात्म के सर्वोच्च अनुभव से परिपूर्ण है। प्रभु यीशु ईश्वर के साक्षात् अवतार बन कर आए व उन्होंने हर एक भक्त को परमेश्वर की सामथ्र्य, प्रेम व सच्चे आनंद से परिचित कराया।बाइबिल एक ईश्वर राज्य की स्थापना पर भी पर्याप्त विचार प्रस्तुत करती है।इस हज़ारवर्षीय राज्य में प्रभु यीशु राजाओं के राजा के रूप में राज्य करेंगे जिसमें पूर्ण शांति, प्रेम, अहिंसा, समृद्धि व भाईचारे का राज्य होगा। हजारवर्षीय राज्य के तुरंत पश्चात अनंतकालीन राज्य आरंभ होगा।
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AUTHORRohit

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