इटारसी। 25 प्रकरणों के निराकरण की अनिवार्यता के आदेश पर पुनर्विचार करने अभिभाषक संघ इटारसी ने प्रधान न्यायधिपति के नाम जिला एवं सत्र न्यायाधीश हर्ष भदौरिया के माध्यम से ज्ञापन सौंपा।
इस अवसर पर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष संतोष गुरयानी, दिनेश शर्मा, अशोक शर्मा, अरविंद गोयल, बसंत केवट, विनोद भावसार, राकेश उपाध्याय, प्रशांत चौरे, अनिल बाथरी सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे। ज्ञापन में कहा गया कि संपूर्ण मध्य प्रदेश में जिला एवं तहसील स्तर पर सभी न्यायिक न्यायालयों में आपके आदेशानुसार 25 पुराने प्रकरणों के निराकरण की अनिवार्यता के चलते अन्य कार्यों पर विपरीत प्रभाव पडऩे से समस्त अभिभाषक अनावश्यक रूप से पक्षकारों सहित परेशान हो रहे हैं।
उक्त अनिवार्यता के चलते न्यायालयों में अन्य ऐसे कार्य जो कार्यावधि में संपादित-निष्पादित हो सकते हैं लेकिन उक्त कारण से नहीं हो रहे हैं। चूंकि आदेश है, इसलिए अधीनस्थ न्यायालय उक्त आदेश को प्राथमिकता प्रदान करते हुए प्रकरणों का निराकरण कर रहे हैं लेकिन अन्य प्रकरणों पर विपरीत प्रभाव पडऩे से संबंधित पक्षकार अधिवक्ताओं पर अनावश्यक शंका-कुशंका करते हुए हमारी कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं, जिससे सभी अधिवक्ताओं का कार्य प्रभावित हो रहा है।
हमें पुराने प्रकरणों के निराकरण होने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जहां तीन माह में हो रहे निर्णय पर जिसमें पिछले पांच वर्षों में अंतर्निहित कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया हो वहां केवल तीन माह में ही पक्षकार को कैसे इंसाफ मिल पायेगा। जल्दबाजी में न्यायालय द्वारा किये निर्णय भी पक्षकार को स्वीकार योग्य नहीं होते जिससे अकारण अपर न्यायालयों में प्रकरणों की अधिकता की स्थिति निर्मित होती है।
संघ ने ज्ञापन के माध्यम अनुरोध किया है कि जो पुराने 25 प्रकरणों को निराकरण करने की तीन माह की समयावधि की अनिवार्यता है, उस पर पुनर्विचार करने की कृपा करें, जिससे सभी अधिवक्ताओं के कार्य न्यायालय में सुचारू रूप से सम्पादित हो सके। संपूर्ण अधिवक्ताओं ने आज उक्त व्यवस्था के प्रति अपना रोष प्रकट कर उम्मीद जतायी है कि अधिवक्ताओं की भावनाओं को मद्देनजर उचित निर्णय लिया जाकर पुनर्विचार किया जायेगा।