मोक्षदा एकादशी व्रत 2022 जानें, तिथि और शुभ मुहूर्त, महत्व, विशेष पूजन विधि , व्रत कथा और सम्पूर्ण जानकारी
मोक्षदा एकादशी व्रत 2022 (Mokshada Ekadashi Vart 2022)
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। और मनुष्य को सभी जन्मों में किए पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कुरूक्षेत्र में गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया था। इस दिन गीता जंयती भी मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले को गीता का पाठ करना चाहिए। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसम्बर 2022 दिन शनिवार को किया जाएगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत तिथि और शुभ मूहूर्त (Mokshada Ekadashi fasting date and auspicious time)
- मोक्षदा एकादशी तिथि प्रारंभ:- 03 दिसम्बर 2022 को प्रात: 05:33 मिनट से
- मोक्षदा एकादशी तिथि समाप्त :- 04 दिसम्बर 2022 को प्रात: 05:34 मिनट तक
- मोक्षदा एकादशी व्रत तिथि :- 03 दिसम्बर 2022 शनिवार
मोक्षदा एकादशी व्रत महत्व (Mokshada Ekadashi Vrat importance)
मोक्षदा एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु का विधि-विधान से व्रत और पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। एवं सभी जन्मों में किए पापों से मुक्ति मिलती है।
साथ ही जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से अपने पूर्वजो, पितृरो की आत्मा का भी शांति मिलती है।
मोक्षदा एकादशी व्रत पूजन विधि (Mokshada Ekadashi Vrat worship method)
- मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान पीपल व तुलसी के पेड़ में जल चढाना चाहिए।
- इसके बाद पूरे घर, और घर के मंदिर में गंगाजल के छिडाकाव करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराकर अभिषेक कर रौली, मौली, चावल, चंदन, अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, फल, आदि अर्पित करके विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए।
- पूजा के बाद भगवान को भोग लगाए और व्रत कथा सुनकर और आरती करनी चाहिए।
- इस व्रत के दूसरे दिन स्नान करके ब्रह्मण, गरीब को भोजन कराकर दान दक्षिणा देनी चाहिए।
- इसके बाद एक रोटी में चीनी, चावल व तुलसी का पत्ता ड़ालकर गाय को खिलाकर उसके बाद व्रत खोलना चाहिए।
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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा (Mokshada Ekadashi Vrat story)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में गोकुल में वैखानस नाम का राजा राज्य करता था। एक रात राजा को सपना आया, सपने में देखा राजा के पिता मृत्यु के बाद नरकलोक में रह कर यातनाएं झेल रहे हैं। उन्हें अपने पिता की ऐसी दशा देख कर बड़ा दुख हुआ।
सुबह ही उन्होंने अपने राज्य से ज्ञानी ब्रहम्ण को बुलाकर अपने पिता की नरकलोक से मुक्ति का मार्ग पूछा। तभी ब्रम्हण ने कहा कि इस समस्या का समाधान तो सिर्फ पर्वत नाम के महात्मा ही कर सकते हैं। क्योकिं वो त्रिकालदर्शी हैं। तभी राजा पर्वत महात्मा के आश्रम गए और उनसे अपने पिता की मुक्ति का मार्ग पूछा।
पर्वत महात्मा ने बताया कि उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में एक पाप किया था, जिसका पाप के कारण वो नरकलोक की यातनाएं भोग रहे हैं। राजा ने महात्मा से इस पाप से मुक्ति के बारें में पूछा। तभी पर्वत महात्मा ने कहा कि, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष मोक्षदा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत और पूजन करें।
इस एकादशी के पुण्य प्रभाव से ही आपके पिता को मुक्ति मिलेगी। राजा ने महात्मा के बताए अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत और पूजन किया। इस व्रत और पूजन के पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिल गई।
नोट : इस पोस्ट मे दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। narmadanchal.com विश्वसनीयता की पुष्टी नहीं करता हैं। किसी भी जानकारी और मान्यताओं को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।