इटारसी। शासकीय महाविद्यालय सुखतवा में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत संगोष्ठी एवं विविध कार्यक्रम प्राचार्य श्रीमती कामधेनु पटोदिया के संरक्षण में आयोजित किए गए। इस अवसर पर मातृभाषा पर विचार सांझा करते हुए प्राचार्य ने कहा कि जन्म लेने के बाद सबसे पहले मातृभाषा ही सीखी जाती है और वहीं हमारी सामाजिक पहचान होती हैं।
डॉ हिमांशु चौरसिया ने कहा कि अनजान जगह पर अपनी भाषा बोलने वाले मिल जाए तो अपनत्व और सुरक्षा का अहसास होने लगता है। प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ सतीश ठाकरे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा वैदिक काल से चली आ रही है और विभिन्न भाषाओं के माध्यम से यह विश्व का पथ प्रदर्शन कर रही है। इस अवसर पर डॉ प्रवीण कुशवाह, श्रीमती संध्या उपाध्याय एवं सुश्री तनिषा साहू ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ धीरज गुप्ता, श्रीमती शकुन भलावी भी उपस्थित रहे।
तकनीकी युग में मातृभाषा का अस्तित्व एवं चुनौतियां विषय पर निबंध प्रतियोगिता में संजना नागवंशी, प्रमोद नागले, रंजना उईके तथा शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा की भूमिका विषय पर भाषण प्रतियोगिता में रितेश धुर्वे, ममता कासदे एवं शिवम क्रमश प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय स्टॉफ सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी मौजूद रहे। मंच संचालन डॉ राधा आशीष पांडे ने एवं आभार डॉ प्रवीण कुशवाह ने व्यक्त किया।