चौपाल लगाकर रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने करते हैं प्रेरित
इटारसी। नगरपालिका अध्यक्ष बनते ही मां नर्मदा का जल इटारसी में लाने की योजना बनाकर शहर में पेयजल की समस्या को जड़ से खत्म करने का प्रयास शुरू करने पंकज चौरे अब भू-जल स्तर को बढ़ाने की मुहिम चला रहे हैं। मप्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष व नर्मदापुरम विधायक डॉ सीतासरन शर्मा से प्रेरणा लेकर वे वर्षा जल भू जल संचयन के अभियान पर निकल पड़े हैं। वे जहां भी जाते हैं, जिस वार्ड, मोहल्ले या फिर कोई कार्यक्रम हो, वहां वे नागरिकों से खासकर महिलाओं से भावनात्मक तौर पर रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की अपील करते हैं।
श्री चौरे का कहना है कि हम सबको मिलकर अब काम करना होगा। इसलिए विधायक डॉ सीतासरन शर्मा से प्रेरणा लेकर जन जाग्रति की मुहिम छेड़ दी है। वार्ड 03 हाउसिंग बोर्ड में पानी की समस्या पर वहां महिलाओं ने जब नपाध्यक्ष को फोन कर बुलाया तो श्री चौरे ने बताया कि यहां पार्क में एक टयूबवेल करा रहे हैं, जल्दी ही वह हो जाएगा। इसके बाद यहां शिव मंदिर में उन्होंने महिलाओं की चौपाल लगाई। सबकी समस्या सुनने के बाद श्री चौरे ने कहा कि आप बताएं जमीन से पानी क्यों नहीं निकल रहा, कोई जानता है क्या कारण है? उन्होंने यहां बैठी महिला सुमन बाई से पूछा अम्मा आप यहां कब से रहते हैं? वे बोली 26 साल हो गए। तब श्री चौरे ने उससे पूछा पानी की दिक्कत कब से है, तो उन्होंने कहा 7-8 साल से है। अम्मा से पूछा कि पहले यहां कितना कच्चा एरिया था और टयूबवेल कितने थे? तो अम्मा ने कहा कि पहले 70 प्रतिशत कच्चा एरिया था और टयूबवेल एक दो घरों में ही थे। टंकी से पानी आता था। इसके बाद श्री चौरे उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अम्मा जमीन में मौजूद पानी हमारे बैंक खाते में जमा पैसे की तरह है। वे कहते हैं मान लो हमारे खाते में 10 हजार रुपये हैं और उसे हम धीरे धीरे निकाल लें तो एक दिन उस खाते से सारा पैसा खत्म हो जाएगा।
बैंक कॉलोनी की शिखा पाराशर का उदाहरण
वार्ड 33 की महिलाओं के बीच जब पानी की समस्या आने पर नपाध्यक्ष पहुंचे तो वहां की महिलाओं को उन्होंने बैंक कॉलोनी में रहने वाली शिखा पाराशर महिला के घर का उदाहरण दिया। कहा कि जितनी समस्या आपके यहां पानी की है, उतनी ही बैंक कॉलोनी में भी है। वहां भी जमीन में पानी नहीं है, नीचे पत्थर है। लेकिन अब शिखा पाराशर के घर पानी की समस्या नहीं रहती क्योंकि उन्होंने घर पर रैन वॉटर हार्वेस्टिम लगा लिया है।
टयूबवेल तो खुदवा देंगे, जमीन में पानी कैसे लाएंगे
वर्तमान में शहर में अधिकांश हिस्से में गर्मी के कारण भूजल स्तर नीचे चला गया है, पानी की समस्या के फोन नपाध्यक्ष श्री चौरे के पास आते हैं, वे सभी जगह स्वयं जाकर नागरिकों से मिलते हैं, सभी टयूबवेल कराने की जिद करते हैं, ऐसे में नपाध्यक्ष श्री चौरे कहते हैं, कि टयूबवेल समाधान नहीं है, वे जितने चाहेंगे उतने टयूबवेल करा देंगे, लेकिन जमीन में पानी आप बताएं कहां से आएगा। वे कहते हैं यदि जमीन में पानी होता तो मौजूदा टयूबवेल ही पानी दे देता, अभी तक दे भी रहा था। वे साफ तौर पर बोलते हैं मैं जमीन में तत्काल पानी कैसे उपलब्ध करा दूं ताकि आपको मिल सके। इसलिए हमारी बात सुनिए अपने अपने घरों में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं और बरसात का पानी उसके जरिए जमीन में भेजें।
जल संग्रहण के ये है लाभ
. भू-जल स्तर बढ़ेगा।
. पार्कों में जलभराव नहीं रहता।
. जलभराव के कारण सड़कों को क्षति नहीं होगी।
. जलभराव से मच्छर नहीं पनपेंगे और बीमारी फैलने का डर नहीं।
. पानी को भविष्य के लिए सुरक्षित कर पाएंगे।
. बरसात का जल सीवरेज में बह कर वेस्ट नहीं होगा।
अभी ऐसे कम हो रहा है भूजल
जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, पानी की मांग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। कई हाउसिंग टाउनशिप, कॉलोनियां और बड़े पैमाने के उद्योग अपनी दैनिक पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भूजल का उपयोग कर रहे हैं। भूजल की इस कमी से निपटने के लिए वर्षा जल संचयन की आवश्यकता है। बरसात का पानी सीमेंटीकरण के कारण नदी नालों में बह जाता है, ऐसे में जमीन में पानी नहीं पहुंच रहा।
कम खर्च में हो जाता है सिस्टम तैयार
नपाध्यक्ष पंकज चौरे कहते हैं कि रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कम खर्च में तैयार हो जाता है। उनका कहना है कि बाजार में अब पानी को फिल्टर करने के सिस्टम आ गए हैं, उसे छत की पाइप और टयूबवेल की पाइप के बीच में लगाकर टयूबवेल से पाइप को जोडना मात्र होता है। 6 से 8 हजार रुपये का यह खर्च है, जिनके घरों में टयूबवेल मौजूद है, यह सिस्टम उसे लगा सकते हैं।