इटारसी। 26 जुलाई 2023 को न्यायालय तहसीलदार (Court Tehsildar) में बजरंग व्यामशाला (Bajrang Vyamshala) आदेश के मामले में मीडिया (Media) को दी गई जानकारी में चेतन राजपूत (Chetan Rajput) का नाम राजनीतिक और निजी द्वेषवश बस जोड़ा गया है। इस मामले में चेतन राजपूत की किसी प्रकार की कोई भूमिका नहीं है।
श्री राजपूत ने बताया है कि जिस भूस्वामी का जिक्र उस आदेश में किया जा रहा है उसका नाम मोतीलाल साहू के वारिस रमेश साहू वगैरह हैं, जिनसे उनके नाना ने 1973 में एक विक्रय चिी के आधार पर यह भूमि खरीदी थी। वह चिी आज भी मौजूद है, जिस आदेश में बजरंग व्यामशाला को अतिक्रमण नहीं माना है उस मामले में चेतन राजपूत को न्यायालय ने पार्टी ही नहीं बनाया। उमाशंकर चौधरी ने एक मामले में चेतन राजपूत पर मानहानि का 500000 का दावा किया जा किया है उसका भी आधार नहीं है।