हर इंसा कहां समझ पाता है
…कि मोहब्बत क्या है
ये इनायत तो सिर्फ़
कुछ सांसों में होती है
हर दिल को
महबूब के इंतज़ार का
तोहफ़ा नहीं मिलता
ये बेकरारी तो
कुछ हीर सी
आंखों में ही होती है
हर किस्मत को
जिक्र – ए – यार
हासिल नहीं होता
अल्फाजों की
ये नवाजिश तो
वादों में ही होती है।
अदिति कपूर टंडन
आगरा