इटारसी। नगर में मानसून की दस्तक को लेकर नगर पालिका (Municipality) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। हर साल भारी बारिश के दौरान शहर की निचली बस्तियां जलमग्न हो जाती हैं, बाढ़ से हालात बेकाबू हो जाते हैं। हर साल 15 जून के बाद क्षेत्र में मानसून सक्रिय होता है, हालांकि भारी बारिश का दौर जुलाई-अगस्त में शुरू होता है।
नगर पालिका के स्वच्छता विभाग ने वर्षा पूर्व नाले-नालियों की सफाई प्रारंभ कर दी है। आज से बड़े नालों को साफ किया जा रहा है। आज सीपीई (CPE) के पास से आने वाले नाला, ठंडी पुलिया से नाला मोहल्ला में प्रवेश करने वाला नाला की सफाई जेसीबी से की गई है। पिछले सप्ताह से नगर पालिका ने शहर के नालों की सफाई जेसीबी ( JCB) से शुरू कराई है। बुधवार को उन नालों की सफाई प्रारंभ करायी जिनसे बारिश में जलभराव के हालात बनते हैं।
दरअसल शहर में होने वाली बारिश का पानी तो सामान्य रूप से निकल जाता है, लेकिन जब पहाड़ों पर बारिश होती है तो पहाड़ी नालों से होकर बारिश का पानी रातों रात शहर में बाढ़ के हालात पैदा कर देता है। पानी की निकासी के लिए मेहरागांव (Mehrgaon) ग्वाल बाबा (Gwal Baba) नदी का पुल, सांकरिया नाला जो सोनासांवरी (Sonasaanwari) होकर जाता है। तीसरा सनखेड़ा (Sankheda) तिराहे पर मौजूद नाला जो गोंडी मोहल्ला से निकलता है और आसपास के छोटे पुल पानी से घिर जाते हैं। इससे आसपास के इलाके जलमग्न हो जाते हैं।
अतिक्रमण से संकरे हो गए हैं
नाले शहर में तेजी से जनसंख्या का घनत्व और बसाहट बढऩे के कारण प्राकृतिक नाले संकरे हो गए हैं, इनके आसपास अवैध निर्माण कर लोगों ने नालों को संकरा कर दिया है, सामान्य बहाव के अलावा जब भी बाढ़ आती है तो पानी बेकाबू होकर आसपास की बस्तियों में जमा हो जाता है। कुछ साल पहले प्रशासन ने नालों के आसपास बनाए गए अवैध निर्माण तोड़कर सीमांकन कराया था, लेकिन मौका मिलते ही लोगों ने एक बार फिर नालों के आसपास कब्जा कर लिया है। कई जगह नालों की दिशा मोड़ दी गई है। तकनीकी जानकारों का कहना है कि पानी के बहाव का प्राकृतिक रास्ता चौड़ा होना चाहिए, जिससे बाढ़ जैसी आपदा में शहर को संकट का सामना न करना पड़े।