अभिषेक तिवारी इटारसी :
आज नर्मदा जयंती है। प्रतिवर्ष माघ शुक्ल सप्तमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। नर्मदा जी भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक हैं जिनका उल्लेख भारत की सात पवित्र नदियों में है। मध्यप्रदेश और गुजरात को सुजलाम सुफलाम बनाने वाली नर्मदा मैया अपने उद्गम अमरकंटक से 1312 किमी की यात्रा करते हुये हज़ारों वर्ग किमी क्षेत्रफल को पोषित पल्लवित कर करोड़ों लोगों की जीवन देते हुये खम्बात की खाड़ी में विलीन होती हैं।
विश्व की प्राचीनतम नदी सभ्यताओं में से एक नर्मदा घाटी का उल्लेख कम ही किया गया है, जबकि पुरातत्ववेत्ताओं अनुसार यहां भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता के अवशेष पाये गये हैं। जबलपुर से लेकर सीहोर, नर्मदापुरम, बड़वानी, धार, खंडवा, खरगोन, हरसूद तक किये गये और लगातार जारी उत्खनन कार्यों ने ऐसे अनेक पुराकालीन रहस्यों को उजागर किया है। संपादक एवं प्रकाशक डॉ. शशिकांत भट्ट की पुस्तक ‘नर्मदा वैली : कल्चर एंड सिविलाइजेशन’ में नर्मदा घाटी की सभ्यता के बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है।विश्व में नर्मदा जी ही एक ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। मान्यता अनुसार नर्मदा परिक्रमा करने से उत्तम जीवन में कुछ नहीं है। जनश्रुति है कि अच्छे से नर्मदाजी की परिक्रमा की जाये तो 03 वर्ष 03 माह और 13 दिनों में पूर्ण होती है, अधिकांश भक्त इसे 108 दिनों में भी पूरी करते हैं। परिक्रमावासी लगभग 1312 किलोमीटर के दोनों तटों पर निरंतर पैदल चलते हुए परिक्रमा कर अपना जीवन सफल करते हैं।
नर्मदा जी की कुल 41 सहायक नदियां हैं तथा नर्मदा बेसिन का जलग्रहण क्षेत्र एक लाख वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 03 और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत है। सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में जंगलों की बेतहाशा कटाई, अनुपचारित (Untreated) घरेलू ठोस अपशिष्ट और औद्योगिक अपशिष्ट का सीधे नर्मदाजी में जाकर मिलना, रेत के अंधाधुंध उत्खनन और तटीय क्षेत्रों में अनियंत्रित व अनियोजित निर्माण से नर्मदा जी का सम्पूर्ण परिस्तिथिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है।
आइये नर्मदा जयंती के पावन अवसर पर जलदायिनी, जीवनदायिनी, पुण्यसलिला माँ रेवा को प्रणाम करते हुये मैया को सदैव स्वच्छ, निर्मल और अविरल रखने का संकल्प लें।
हर हर नर्मदे !!

अभिषेक तिवारी इटारसी
9860058101