महोदय ,
नर्मदापुरम् नगर पालिका अति उत्साह में आकर महाकाल की तर्ज पर नर्मदा लोक का सौंदर्य निहारने के लिये कॉरिडोर बनाने जा रही है। इस हेतु एक टीम से नर्मदा तटों को लेकर तैयार कराई गई रिपोर्ट भी आ गई है। बताया जाता है कि इस टीम ने नर्मदापुरम् के हर्बल पार्क से राज घाट तक का निरीक्षण कर यह रिपोर्ट बनाई है। यहां तक कि नगरपालिका ने एक प्रस्ताव बना कर पीआईसी में पास भी करवा लिया है। अगले चरण में कंसल्टेंट नियुक्त कर डीपीआर बनवाई जाएगी। फिर स्वीकृति तथा राशि के लिये प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा। नगरपालिका अध्यक्ष नीतू महेंद्र यादव का मानना है कि इस प्रक्रिया में एक साल लग जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस एक साल में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव भी होने हैं। स्वाभाविक है कि तब तक आचार संहिता लग जाएगी जिसका सीधा असर इस समूची प्रक्रिया पर भी पड़ेगा। इधर अनुमान ये लगाया गया है कि इस कॉरिडोर के निर्माण में 250 करोड़ का खर्च आएगा। नगरपालिका अध्यक्ष यह भी कह रही हैं कि नगर पालिका अपने स्तर पर इतना बड़ा प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर सकती। मतलब ये हुआ कि कॉरिडोर का बनना न बनना शासन की मदद पर निर्भर करेगा। खुद नगरपालिका अध्यक्ष भी यह स्वीकार करती हैं।
कुल मिलाकर ये मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने जैसा हुआ क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा जयंती के दिन नगर के गौरव दिवस के अवसर पर जल मंच से सिर्फ नर्मदा लोक बनाने की घोषणा की थी। अब इसमें कॉरिडोर और जुड़ गया । जिससे लागत तो बढ़ेगी ही समय भी ज्यादा लगेगा।
इस तरह की अव्यवहारिक योजना का औचित्य क्या है ? माननीय नगरपालिका अध्यक्ष, नर्मदापुरम् को मेरा सुझाव यह है कि लखनऊ के गोमती रिवर फ्रन्ट की तरह नर्मदा रिवर फ्रन्ट बनाया जाए ताकि श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को नर्मदा जी के संपूर्ण दर्शन आसानी से हो सकें।
विनोद कुशवाहा
एल आई जी / 85
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