नर्मदा स्नान से मन के विकार दूर होते हैं
इटारसी। जिनके मन में ईष्र्या के भाव हूं और तन में विकार हो वह जीवन में कवि सफल नहीं हो सकते। उक्त उद्गार क्षेत्र के पुराण मनीषी मधुसूदन महाराज ने संस्कार मंडपम सोना सांवरी में व्यक्त किए। जनकल्याण आलोक शांति के लिए आयोजित श्री नर्मदा पुराण कथा महोत्सव (Narmada Purana katha mahotsav) के चतुर्थ दिवस में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष आचार्य श्री मधुसूदन ने कहा कि जीवन में उन्नति वह सफलता तभी आती है जब हमारे मन में ईष्र्या का भाव न हो और ना ही तन में विकार हो। लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब हम कथा सत्संग में भाग लेते रहें और पतित पावनी मां नर्मदा जैसी पावन नदियों की पवित्र जल धारा में श्रद्धा से स्नान करते रहें।
चतुर्थ दिवस की कथा समारोह में नर्मदा पुराण के अनेक ज्ञान पूर्ण प्रसंगों का अध्यात्मिक वर्णन करने के साथ ही आचार्य मधुसूदन ने भगवान शंकर की अनेक लीलाओं का सांसारिक वर्णन करते हुए कहा कि शिव जी का परिवार हमें संगठित परिवार की परिभाषा सिखाता है। अंत में शिव पार्वती विवाह का मंचन भी सचित्र झांकी के साथ किया और वैवाहिक भजन प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर मुख्य यजमान दीनदयाल पटेल, मिश्रीलाल पटेल, एवं बलराम पटेल ने मां नर्मदा के साथ ही भगवान शंकर पार्वती की पैर पखराई की। पार्वती विवाह समारोह का स्वागत संचालन कार्यक्रम संयोजक अनिरुद्ध पटेल ने किया। स्वागत उद्बोधन पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ब्रज किशोर पटेल ने दिया।