इटारसी। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय इटारसी में आज उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार महाविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तत्वावधान में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और शिक्षा के आधुनिक संदर्भ’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हाईब्रिड मोड पर किया गया।
संगोष्ठी में उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल से विशेष कर्तव्य अधिकारी प्रो. धीरेंद्र शुक्ल, भोपाल-नर्मदापुरम के अतिरिक्त संचालक प्रो. मथुरा प्रसाद, शुल्क विनियामक आयोग भोपाल मप्र के अध्यक्ष प्रो. आरआर कान्हेरे, जामिया मिलिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. अखिलेश कुमार पांडे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. हर्षवर्धन सिंह तोमर, शासकीय हमीदिया महाविद्यालय भोपाल से प्रो. माधवी लता दुबे, शासकीय महाकौशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय जबलपुर के प्राचार्य, प्रो. अलकेश चतुर्वेदी, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय भोपाल से डॉ. हितेंद्रराम, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय भोपाल से डॉ. जितेंद्र भावसार, शासकीय कुसुम महाविद्यालय सिवनी मालवा से डॉ. अनुराग पाठक प्रत्यक्ष एवं आभासी रूप से मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल हुए।

महाविद्यालय के जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष डॉ. नीरज जैन, महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. राकेश मेहता, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अरविंद शर्मा एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक प्रो. रश्मि तिवारी मंचासीन रहे। प्राचार्य नेे स्वागत उद्बोधन में मुख्य वक्ता, विषय विशेषज्ञ एवं सभागार में उपस्थित प्राध्यापक, शोधार्थी एवं महाविद्यालय के विद्यार्थियों का स्वागत अभिनंदन करते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति और पाठयक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा को आत्मसात करने उसका उचित ढंग से क्रियान्वयन करना हम सभी की जिम्मेदारी है। जिस तरह से शासन प्रशासन निरंतर भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े पर्व, त्यौहार, उत्सवों के साथ रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति से जुड़ने का अवसर प्रदान कर रहा है हमें भी हमारे प्राचीन ज्ञान को गंभीरता समझने उसे महत्व देने की उस पर गौरवान्वित होने की।
भारत की प्राचीन परंपराओं में आटे से रंगोली डाली जाती थी ताकि चीटियां अपना पेट भर सके, ज्वारे रखने की प्रथा, चिकित्सा, रसायन शास्त्र, वास्तुकला, सूर्य पूजा, पर्यावरण संरक्षण, गुरु शिष्य परंपरा, वृद्धो का सम्मान, पशु पक्षियों के प्रति संवेदना, मानवीय दृष्टिकोण, प्राचीन संस्कृत भाषा का महत्व आदि महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मैक्समूलर के समय हमारी इन परंपराओं को गलत ढंग से अभिव्यक्त किया गया है आज समय का चक्र पुन: हमारी परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। अंग्रेज विद्वान फोस्टर द्वारा कहा गया था कि सारा ज्ञान गंगा नदी से आया है और आज महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक लोगों के द्वारा कुंभ स्नान भारतीय अध्यात्म का साक्षात उदाहरण है।
जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष डॉ. नीरज जैन द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा पर आयोजित इस संगोष्ठी में आए हुए आमंत्रित विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान हमारी अस्मिता है हमारी पहचान है हमारी गौरवशाली संस्कृति का प्रतीक है इस पर हमें गौरवान्वित होना चाहिए।