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जैव विविधता और उसके संरक्षण की चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार

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इटारसी। जैव विविधता और उसके संरक्षण की चुनौतियां (Biodiversity and its Conservation Challenges) विषय पर शासकीय महात्मा गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटारसी (Government Mahatma Gandhi Memorial Post Graduate College, Itarsi) में आज राष्ट्रीय वेबीनार (National Webinar) में आनलाईन प्लेटफार्म से प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय (Professor Akhilesh Kumar Pandey) कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, कीनोट स्पीकर प्रोफेसर संजय कुमार (Sanjay Kumar), कुलपति एमीटी विश्वविद्यालय कलकत्ता, मुख्य अतिथि प्रोफेसर धीरेन्द्र शुक्ल (Dhirendra Shukla) विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, भोपाल डॉ.जोयेस जोश (Dr.Joyce Josh) सहायक प्राध्यापक केरल, डॉ.नीरज जैन (Dr.Neeraj Jain) जनभागीदारी अध्यक्ष के साथ आफ लाईन मोड से विधायक प्रतिनिधि दीपक अठोत्रा (Deepak Athotra), प्राचार्य डॉ.राकेश मेहता (Dr.Rakesh Mehta) उपस्थित रहे।

विषय प्रवर्तन कार्यक्रम संयोजक डा.सुसन मनोहर ने किया। प्राचार्य डा.राकेश मेहता ने जैव विविधता एवं मानव अस्तित्व में संबंध, राष्ट्रीय एवं विश्व स्तर पर जैव विविधता में क्षति के प्रमुख कारण, नियंत्रण एवं स्थानीय स्तर पर संरक्षण हेतु उठाये जा सकने वाले कदमों पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि प्रोफेसर धीरेन्द्र शुक्ल ने महाविद्यालय को बधाई देते हुए कहा कि यह वेबीनार शासन की महत्वाकांक्षी योजना है। जिससे अकादमिक गुणवत्ता उन्नयन होगा। मुख्य वक्ता प्रोफेसर संजय कुमार, कलकत्ता ने बताया कि प्रत्येक जीव को जीने के लिए एक समान अवसर मिलने चाहिए। पृथ्वी हमारी नहीं, हम पृथ्वी के हंै। जैव विविधता के लिए पृथ्वी की सुरक्षा एवं संरक्षण अति आवश्यक है।

अतिथि वक्ता डॉ.जोयेस जोश सहायक प्राध्यापक केरल ने भारतीय पश्चिमी घाट की जैव विविधता (मिरिस्टिका स्वम्स) शीर्षक पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि हमारा देश मेगा डायवरसिटी कन्ट्री है। जिसमें विभिन्न प्रकार के जीवों का आपसी सामंजस्य जैव विविधता को संरक्षित करता है। उन्होंने जी-20 के ध्येय वाक्य एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य पर जोर दिया। जैव की क्षति से होने वाले गंभीर पहलुओं को भी बताया जैसे पंजाब के कपूरथला से कैसंर ट्रेन का चलना। भोपाल से प्रो. रोली शर्मा ने अपने शोधपत्र प्रस्तुति में कहा कि अगर व्यक्ति अपनी धार्मिक आस्था को प्रकृति के साथ जोड़ ले तो वह जैव विविधता में अपना योगदान दे सकता है।

हिंदू धर्म में जिस प्रकार प्राचीन समय से ही जैव विविधिता के प्रति जागरूक रहा है वह प्रकृति प्रदत सभी वनस्पतियों पेड़ पौधों जीव जंतुओं को पूज्य और संरक्षित करते आया है। वेबिनर में रिपोर्टियर डॉ. सौरभ पगारे एवं डॉ. मीनू शर्मा ने किया। इस वेबीनार में लगभग 250 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया, जिसमें से 35 प्रतिभागियों ने शोध पत्र का प्रस्तुत किये। 15 प्रतिभागियों ने अपने पूर्ण शोध आलेख भेजे हैं, उनके शोध पत्र का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशन किया जाएगा। इस वेबीनार में वरिष्ठ प्राध्यापक अरविंद शर्मा, ओपी शर्मा, प्रो. कनकराज, सुरेश गुप्ता, डॉ. आशुतोष मालवीय, डॉ संतोष अहिरवार, डॉ मनीष चौरे, श्रुति अग्रवाल, मीरा यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। संयोजन प्रो सुसन मनोहर, सहसंयोजन डॉ दिनेश कुमार, समन्वयक डॉ रश्मि तिवारी आयोजन सचिव एवं डॉ अर्चना शर्मा ने किया।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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