शारदीय नवरात्रि अष्टमी-नवमी तिथि महत्व, विशेष मंत्र, हवन सामग्री, कैसे करें हवन की तैयारी, हवन विधि, कन्या पूजन, क्या नहीं करना चाहिए जाने सम्पूर्ण जानकारी
शारदीय नवरात्रि अष्टमी-नवमी तिथि (Sharadiya Navratri Ashtami Navami Date)
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि का एक विशेष महत्व होता है। अष्टमी के दिन माता महागौरी और नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए मंत्रो के साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी-नवमी तिथि पर, कन्या पूजन, भोजन, हवन करने का विशेष महत्व होता है।
पौराणिक मान्यतओं के अनुसार अष्टमी-नवमी तिथि पर माता की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट और आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। अष्टमी-नवमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजन के समय सुख, समृद्धि, कीर्ति, विजय और आरोग्यता की कामना करनी चाहिए।
अष्टमी-नवमी तिथि का महत्व (Significance of Ashtami Navami Tithi)
नवरात्रि के अष्टमी-नवमी तिथि का एक विशेष महत्व होता हैं। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों कन्या पूजन से जीवन में कभी भी कोई दुख, परेशानी नहीं आता है और मां अपने भक्तों को मनवांछित फल देती हैं। मां महागौरी और सिद्धिदात्री धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी हैं।
अष्टमी-नवमी तिथि पर पूजा के बाद इन मंत्रों का करें जाप (After worship on Ashtami-Navmi date, chant these mantras)
- ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
- सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
- या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:
नवमी हवन सामग्री (Navami havan material)
फूल, अक्षत, सिंदूर, फल, मिठाई, चावल, घी, जौ, तिल, बूरा, इन्द, जौ, बालछड़, आम या ढाक की सूखी लकड़ी, कूष्माण्ड (पेठा), पान, सुपारी, लौंग, छोटी इलायची, कमल गट्ठे, जायफल, मैनफल, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनारदाना, पीली सरसों, पंच मेवा, सिन्दूर, उड़द मोटा, शहद, ऋतु फल, केले, नारियल, गोला, गूगल ग्राम, लाल कपड़ा, चुन्नी, गिलोय, सराईं, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, भोजपत्र, मिश्री, हवन कुंड।
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नवमी हवन विधि (Navami Tithi Havan Method)
- सबसे पहले हवन कुंड बना कर उसे गाय के गोबर से लेप दें और आटे से चौक बना लें।
- हाथ में गंगाजल लेकर सभी सामग्रियों पर छींचे और कुंड के चारों तरफ एक-एक कुश रखें।
- इसके बाद हवनकुंड में आम की सूखी लकड़ियां रखें।
- रूई में घी लगाकर लकड़ी के ऊपर रखें।
- कपूर जलाकर हवनकुंड की ज्वाला प्रज्जवलित करें।
- इसके बाद बाद घी से 3 या 5 बार गणेशजी, पंचदेवता, नवग्रह, क्षेत्रपाल, ग्राम देवता एवं नगर देवता को आहुति दें।
- इसके बाद ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः’मंत्र से 108 बार माता के नाम से आहुति दें।
कन्या पूजन (Girl Worship)
कन्या माता अन्नपूर्णा का स्वरुप होती हैं इसलिए अष्टमी-नवमी के दिन कन्याओं की पूजा कर कन्या भोज जरूर कराना चाहिए और दान दक्षिणा देकर आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए। ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं और माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
श्रृंगार की वस्तुएं भेंट दें (Give makeup Items)
अष्टमी-नवमी के दिन देवी माता के मंदिर में या सुहागिन महिला को लाल रंग की साड़ी और श्रृंगार का सामान भेंट देने से घर में सुख-सौभाग्य आता है।
दीप जलाएं (Light a Lamp)
अष्टमी-नवमी के दिन तुलसी के पास शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं और सुख समृद्धि का वास होता हैं।
क्या नहीं करें (Do Not What)
- यदि घर में मां दुर्गा की अखंड ज्योति जलाई हैंं। तो घर खाली नहीं छोड़ना चाहिए।
- इस दिन अपनी दाढ़ी-मूंछ या बाल नहीं कटवाने चहिए।
- कन्याओं और स्त्रियों का अपमान नहीं करें।
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