नज़्म: गर शिद्दत है…

नज़्म: गर शिद्दत है…

गर शिद्दत है
मोहब्बत में तो
अंजाम – ए – इश्क की
परवाह न कीजिए

भर कर
नूर मोहब्बत का
आंखों में
इकरार का आगाज़ कीजिए

मुकम्मल हो
मोहब्बत या नहीं
ये ख्याल – ए – पशोपेश न रखिए

महबूब का
तसव्वुर लिए
दिल में
इश्क के दर पर कदम रखिए.

1610858176076

अदिति टंडन
आगरा 

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