निश्चल प्रेम से ही आनंद की अनुभूति होती है: हेमलता शास्त्री

Post by: Poonam Soni

इटारसी। संसार सागर में जो भी मनुष्य निश्चल प्रेम एवं भक्ति भाव के साथ श्रीराम परमात्मा की भक्ति करते हैं वही जीवन में आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं। उक्त उद्गार मथुरा वृंदावन की हेमलता शास्त्री ने वृंदावन गार्डन इटारसी में व्यक्त किए। आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए सेवन स्टार क्लब द्वारा आयोजित संगीत मय श्री राम कथा समारोह के तृतीय दिवस में अंतरराष्ट्रीय प्रवचन कर्ता हेमलता ने कहा कि परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर पीड़ा सम नहीं अधमाई इस चौपाई को हम हृदय में आत्मसात कर इसे जीवन में चरितार्थ कर ले तो हमारा जीवन भी श्रीराम के समान आदर्श में हो सकता है। धान की महत्वता को प्रतिपादित करते हुए कहां की मनुष्य अमीर गरीब मन के भाव से होता है। जिसके मन में दान पुण्य का भाव होता है। परमात्मा उसे धन्य धन्य से परिपूर्ण कर देते हैं और जिनके मन में यह पुण्य भाव नहीं होता है वह अमीर होते हुए भी परमात्मा की दृष्टि में गरीब होता है। प्रभु श्री राम की वंशावली का उल्लेख करते हुए मानस मर्मज्ञ हेमलता जी ने कहा की रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई इस पंक्ति को श्री राम सहित उनके कुल के समस्त राजाओं ने चरितार्थ किया है इन्हीं में से एक राजा हरिश्चंद्र थे जिन्होंने अपनी मर्यादा मई रीत को निभाने के लिए शमशान की पहरेदारी करते हुए स्वयं अपने पुत्र के अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी से शमशान का कर वसूल किया था इस मार्मिक प्रसंग के साथ ही सुश्री हेमलता जी ने माता कौशल्या और राजा दशरथ के जीवन से जुड़ा सुंदर भजन प्रस्तुत किया इस दौरान राजा रानी की सजीव झांकी भी सजाई गई। कथा के प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक संयोजक जसवीर सिंह छावड़ा एवं अन्य जवानों ने श्री रामायण जी की आरती करते हुए प्रवचन कर्ता हेमलता जी का स्वागत किया तृतीय दिवस के ड्रेस कोड में प्रवचन कर्ता एवं यजवान मंडल ने पीतांबर वस्त्र धारण किए और कथा समारोह में शामिल समस्त भक्त जनमानस उनको पीतांबरी रंग के चंदन का लेप लगाया गया।

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