न खाने का वक्त, ना सोने का ठिकाना, दिन में मनुहार, रात में बनती रणनीति

Post by: Rohit Nage

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परवान चढऩे लगा नगर सरकार के लिए चुनाव प्रचार
इटारसी। नगर पालिका परिषद में प्रतिनिधित्व करने के लिए अब वार्डों में प्रत्याशियों के बीच जोर आजमाईश तेज हो रही है। मतदान में 9 दिन शेष हैं, दसवे दिन वोट डाले जाएंगे। 6 जुलाई को मतदान होगा और जब नतीजे आएंगे तो साफ हो जाएगा कि इतनी कवायद के बाद आखिर ऊंट किस करवट बैठा है।
चुनावों में अपना भाग्य आजमा रहे राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के अलावा निर्दलीय भी इन दिनों व्यस्तता का जीवन गुजार रहे हैं। वे अधिक से अधिक मतदाताओं के पास जाकर चेहरा दिखाना और अपने लिए मतदान की अपील करना चाहते हैं। चुनावी रंग ऐसा है कि सभी वार्डों में प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय में प्रत्याशी नहीं दिखाई दे रहे बल्कि उनके कुछेक समर्थक या रणनीतिकार ही दिख रहे हैं। वैसे ज्यादातर प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालय खुल चुके हैं। प्रत्याशी की दिनचर्या ऐसी हो गयी है कि अल सुबह से लेकर देर शाम तक उनका वक्त घर-घर दस्तक देने में ही गुजर रहा है। न खाने का कोई वक्त है, ना ही सोने का ठिकाना। नींद से जैसे कुछ घंटे साथ रहने का समझौता कर लिया हो। खाने से कभी छुट्टी भी लेना पड़ रही है और केवल नाश्ता करके दिनभर मैदान में पसीना बहाया जा रहा है।

पैर छूकर, गले मिलकर मनुहार

जैसे-जैसे चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है, चुनाव प्रचार की रंगत बढ़ती जा रही है। हाथ में वार्ड विकास के अपने सपनों का पर्चा, जुबां पर मतदाताओं को भरोसा दिलाने के शब्द। घर-घर जनसंपर्क, बड़ों के पैर छूकर वोट का अनुरोध, छोटों से हाथ मिलाकर, गले मिलकर निवेदन। वोट के लिए मनुहार। यही दिनचर्या हो गयी है।

दिनभर अपील, रात में रणनीति

सारा दिन वार्ड की गलियों में प्रत्याशियों का वक्त गुजर रहा है और देर शाम को लौटकर अपने समर्थकों से मिलना, वार्ड की रिपोर्ट लेना, कहां कमजोर हैं, वहां अगले दिन जोर लगाना, जैसी चर्चाओं के बाद रणनीतिकारों के साथ देर रात तक चुनावी रणनीति बनाना। यह नगर के लगभग सभी 34 वार्डों की एक जैसी तस्वीर हो गयी है।

पोस्टर, बैनर, होर्डिंग का प्रचार

इस बार नगर पालिका चुनावों में पोस्टर, बैनर, होर्डिंग पिछले चुनावों की अपेक्षा काफी कम हैं। दरअसल, चुनाव वार्डों में हो रहे हैं, नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होता तो इनकी संख्या कहीं अधिक दिखती। पार्षद प्रत्याशी और उनके समर्थक घर-घर जाकर मतदाताओं ने रूबरू होकर जीत पक्की करने में ज्यादा भरोसा दिखा रहे हैं।

एक-एक वोट पक्की करने की कवायद

पार्षद पद का चुनाव, हालांकि पार्टी के सिम्बॉल पर तो हो रहा है, लेकिन, प्रत्याशी की अपनी छवि भी इसमें ज्यादा मायने रखती है। प्रत्याशी एक-एक वोट पक्की करना चाहते हैं। पार्टी के नाम पर कार्यकर्ताओं या पार्टी समर्थक परिवारों के वोट भले मिल जाएं, जीतने लायक वोट तो मतदाताओं से मनुहार करके ही निकाले जा सकते हैं।

महिलाओं की टोली भी मैदान में

आधी आबादी, यानी महिलाओं की टोली भी मैदान में हैं। नगर पालिका चुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने लगभग पचास फीसद महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा है। वार्डों में महिलाओं के लिए होने वाले प्रचार में नब्बे फीसद महिलाएं ही दिखाई दे रही हैं। यानी आधी आबादी भी मैदान में है।

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