बिजली की बचत करने डीजल शेड में बनाया ऑक्यूपेंसी सेंसर यंत्र

Post by: Manju Thakur

इटारसी। रेल मंडल भोपाल के डीजल शेड इटारसी ने ऊर्जा संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए बिजली की खपत कम करने हेतु ऑक्यूपेंसी सेंसर यंत्र (Occupancy sensor) बनाया है। शेड के कर्मियों के सहयोग से बनाया इलेक्ट्रिक सेंसर इंसान के शरीर से निकलने वाले इन्फ्रा रेड किरणों को डिटेक्ट करके आफिस की लाइट-पंखे चालू कर देता है एवं अनुपस्थिति में बंद कर देता है। यह अंधेरे में भी काम करता है।
शेड निर्मित ऑक्यूपेंसी सेंसर (Occupancy sensor) यंत्र सामान्य से 1/10 दाम पर (लगभग 300 रु में) बनाया गया है। इसकी सेंसिंग रेंज 7 मीटर एवं 120 डिग्री है तथा समय को आवश्यकतानुसार बदला जा सकता है। इस यंत्र का उपयोग शेड के एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग के सभी आफिस में किया जा रहा है। गत दिवस मंडल रेल प्रबंधक उदय बोरवणकर ने इटारसी निरीक्षण के दौरान इस यंत्र की कार्य प्रणाली को देखकर इसकी सराहना करते हुए सामूहिक पुरस्कार घोषित किया था एवं शेड के सभी बिल्डिंग्स में लगाने की सलाह दी गई थी।
विदित हो कि भोपाल मंडल ऊर्जा संरक्षण की दिशा में लगातार कार्य करते हुए ऊर्जा बचत के साथ ही राजस्व की भी बचत कर रहा है। जिसके अंतर्गत मंडल के हरदा, होशंगाबाद, भोपाल, विदिशा, गुना एवं शिवपुरी स्टेशन में 30-70 सर्किट ऑटोमेशन का कार्य पूर्ण कर लिया है। इन स्टेशनों पर ट्रेन आने पर ही प्लेटफार्म की लाइट 100 प्रतिशत जलेगी और ट्रेन जाने पर 70 प्रतिशत लाइट स्वत: ही बंद हो जाएगी। यह कार्य रातभर स्वत: ही होता रहेगा। इस व्यवस्था में सभी प्लेटफार्म की लाइट्स को होम एवं स्टार्टर सिग्नल से सफलता पूर्वक जोड़ दिया है। जब ट्रेन होम पर आएगी ओर उसे जैसे प्लेटफार्म पर आने के सिग्नल मिलेंगे वैसे ही प्लेटफार्म की 100 फीसद लाइट्स जल जाएंगी और जब तक ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी रहेगी तब तक सभी लाइट्स जलती रहेंगी। जब गाडी को स्टार्टर सिग्नल मिलेंगे और उसके बाद ट्रेन स्टार्टर सिग्नल से जैसे ही गुजरेगी वैसे ही लाइट्स 70 फीसद स्वत: ही बंद हो जाएगी। इस सर्किट के द्वारा मंडल की उर्जा खपत में लगभग 83,113 रुपए प्रतिमाह की बचत होगी। इसके अतिरिक्त भोपाल मंडल द्वारा ग्रीन एनर्जी की तरफ कदम बढ़ाते हुए भोपाल तथा शिवपुरी स्टेशन में 2.5 किलो वाट के विंड सोलर हाइब्रिड सिस्टम लगाये गये हैं। इस सिस्टम से हवा से 500 वाट एवं सोलर से 2 किलो वाट यूनिट्स ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। प्रत्येक सिस्टम से सालाना 1.5 लाख रुपये की ऊर्जा बचत होगी।

 

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