छोटी दिवाली पर काशी में जगमगाते दीपकों से बिखरी इंद्रधनुषी छटा,जले यम के दीप

Post by: Rohit Nage

On the occasion of Chhoti Diwali, there was a rainbow of glittering lamps in Kashi, lamps of Yam were lit.
  • — बाजार में रौनक,देर शाम तक चहल—पहल, श्री काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता निखरी

वाराणसी,30 अक्टूबर (हि.स.)। ज्योति पर्व दीपावली के एक दिन पूर्व छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) पर बुधवार शाम से ही श्री काशी विश्वनाथ की नगरी में उत्सवी माहौल है। जिले के शहरी और ग्रामीण अंचल में देर शाम जगमगाते दीपकों और रंग बिरंगें विद्युत झालरों से रोशनी की इंद्रधनुषी छटा बिखरी रही। श्री काशी विश्वनाथ धाम की रंगत ही निखर गई है।

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पर्व पर लोगों ने परम्परानुसार शाम को यम का दीप अपने घर और प्रतिष्ठानों के बाहर जलाया। लोगों ने तिल के तेल से भरे दीपों को यम के अतिरिक्त ब्रह्मा-विष्णु-महेश आदि के नाम पर मंदिरों,मठ, बाग-बगीचों, बावली-गली इत्यादि में भी जलाया। मान्यता है कि इससे असमय मृत्यु नहीं होती। उधर,पर्व पर शहर के बहुमंजिली इमारतों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान रौशनी से नहाये रहे। शहर के प्रमुख बाजारों,सार्वजनिक पार्को, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू),सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर रोशनी से सराबोर दिखा। बीएचयू के लंका स्थित सिंह द्वार पर भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की आदमकद प्रतिमा भी रंगीन विद्युत झालरों से सजी दिखी।

पर्व पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति की जमकर हुई खरीदारी

छोटी दिवाली पर भी पूजन अर्चन के लिए मिट्टी से बनी लक्ष्मी—गणेश की मूर्ति जमकर बिकी। मूर्तियों की खरीददारी के लिए जगह-जगह सड़क पर सजे अस्थाई स्टालों पर पूरे दिन लोगों की भीड़ जमी रही। लहुराबीर, जगतगंज, चेतगंज, नई सड़क, गोदौलिया, दशाश्वमेध, जद्दूमंडी, लंका, अस्सी, लहरतारा और मंडुवाडीह,पांडेयपुर,अर्दलीबाजार आदि इलाकों में लोग पर्व पर खरीददारी करते रहे। गाय के गोबर से निर्मित गणेश लक्ष्मी व अन्य शुभ प्रतीक चिन्ह भी लोग खरीदते रहे। छोटी दिवाली पर हनुमत जयंती भी मनाई गई। गोलघर पराड़कर स्मृति भवन स्थित श्री श्री 1008 त्रिलोक महाबीर हनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया गया। शुभारम्भ सुंदरकाण्ड के पाठ से हुआ। इस अवसर पर हनुमान जी के विग्रह पर चमेली के तेल से लेपन किया गया। नया वस्त्र पहनाकर लड्डू, चना व हलवा का भोग लगा कर आरती की गई। मंदिर को फूल, माला, अशोक की पत्तियों से सजाया गया। भजनों की कर्ण प्रिय प्रस्तुति के बीच भण्डारे का आयोजन हुआ। इसमें रामू साव का विशेष सहयोग रहा।

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