इटारसी। रेस्ट हाउस (rest house) के पीछे की रिक्त भूमि का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिका लगाने वाले आधा दर्जन लोगों का कहना है कि 1 अगस्त को इस भूमि का मूल्य करीब डेढ़ अरब रुपए हो जाएगा जबकि किसी सिंडीकेट को उपकृत करने इसका आरक्षित मूल्य केवल 24.02 करोड़ रुपए ही रखा है।
उल्लेखनीय है कि रेस्ट हाउस के पीछे की रिक्त भूमि का 28 यानी आज नीलामी होना है। इसके एक दिन पूर्व जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर दी गई है। रेस्ट हाउस इटारसी की एक लाख वर्ग फिट जमीन को बेचने के खिलाफ जन आंदोलन, हस्ताक्षर अभियान, अब हाई कोर्ट की शरण पहुंच गया है जिसमें अनेकों सामाजिक और राजनैतिक संस्थाओं ने खुला विरोध जताया है।
छह लोगों ने लगायी याचिका
प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिवक्ता ऐश्वर्य पार्थ साहू (Aishwarya Parth Sahu) ने मुकेश गांधी (Mukesh Gandhi), पंकज राठौर (Pankaj Rathore), मोहन झलिया (Mohan Jhalia), ज्ञानेंद्र उपाध्याय (Gyanendra Upadhyay), कैलाश नवलानी (Kailash Navlani) और प्रज्ञान आर्यन साहू (Pragyan Aryan Sahu) की ओर से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच जबलपुर में रेस्ट हाउस की रिक्त भूमि नीलामी के खिलाफ याचिका प्रस्तुत कर दी है। हालाकि अभी प्रारंभिक सुनवाई होना बाकी है, याचिकाकर्ता मुकेश गांधी और पंकज राठौर का तर्क है कि रेस्ट हाउस की रिक्त भूमि पर मल्टी स्टोरी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, आवासीय फ्लैट और पार्किंग जैसी सुविधा का विस्तार शहर हित में होना चाहिए। निजी हाथों की योजना जनहित की न होकर स्वहित की होगी। वही दूसरी ओर पीडब्लूडी विभाग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (कार्यकारी निकाय मप्र सड़क विकास निगम भोपाल) द्वारा 28 जुलाई को आयोजित नीलामी पर संदेह है, क्योंकि सांसद राव उदय प्रताप इटारसी प्रवास पर इस नीलामी का निरस्त होना बता चुके हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश के साहू (Ramesh K Sahu) ने कहा कि कलेक्टर गाइड लाइन वर्ष 20-21 अनुसार बाजार मूल्य 131 करोड़ आती है जो 1 अगस्त को डेढ़ अरब होगी। सरकार ने इसका आरक्षित मूल्य 131 करोड़ के स्थान पर 24.02 करोड़ रखा है। स्पष्ट है, किसी सिंडिकेट को उपकृत किए जाने का षड्यंत्र है। मामला आर्थिक अपराध ईओडब्ल्यू का बन रहा है। मोहन झालिया एडवोकेट ने बताया इस मामले में राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल भी राज्यपाल से नीलामी निरस्ती की मांग कर चुके हैं।