कृष्ण भक्ति में सराबोर होकर रोमांच तक पहुंचने श्री हरिनाम संकीर्तन में अवश्य आयें

Post by: Rohit Nage

Bachpan AHPS Itarsi

अखिल दुबे, इटारसी। बंगाली कालोनी में श्री हरि नाम संकीर्तन का 18 अप्रैल 24 को प्रात: 6 बजे से 20 अप्रैल 24 को प्रात: 6 बजे तक निरंतर 48 घंटे तक चलेगा। इस आयोजन में सभी को आमंत्रण, सभी का स्वागत एवं अभिनंदन है। ‘हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे। हरे राम, हरे राम, राम-राम हरे-हरे’ ये वो हरे कृष्ण महामंत्र का जाप है, जिसे कीर्तन के द्वारा झूमकर, नाचकर, गाकर, वाद्य यंत्रों के द्वारा गाया जाता है।

सोलवी शताब्दी की शुरुआत में अखंड बंगाल के भक्ति योग के वैष्णव संप्रदाय के शीर्ष और महानतम संत चैतन्य महाप्रभु ने इस भक्ति विधि से पूरे भारत में भूचाल ला दिया था। कृष्ण भक्ति में सभी को रोमांचित और सराबोर कर दिया था। इनका बचपन का नाम विशंभर मिश्र था, गोर वर्ण, बड़ी आंखों और आकर्षक व्यक्तिय के कारण, चैतन्य के गुरु केशव भारती के द्वारा इनके अन्य नाम गोर सुंदर और निमाई भी प्रचलित है। चैतन्य को भगवान कृष्ण का अवतार भी माना गया। सभी सनातनी, आर्य, द्रविड़ देवों में जिस पर सबसे ज्यादा सोचा गया, पूजा गया, स्वीकार किया गया और लिखा गया (दुनिया के सभी अन्य देशों में भी) वो महाप्रभु कृष्ण हैं।

ज्ञान, कर्म और तप के अलावा ईश्वर प्राप्ति का भक्ति योग से/कीर्तन से प्राप्ति का यह तरीका सबसे अधिक लोकप्रिय और प्रचलित है। वैष्णव संप्रदाय के संस्थापक वल्लभाचार्य के इस भक्ति मार्ग को चैतन्य ने अपनाकर पूरे अखंड भारत को आंदोलित और अभिभूत कर दिया। चैतन्य महाप्रभु ढोलक, मृदंग, झांझ, मंजीरे, के वादन के साथ, पैदल चलते हुए, झूमते हुए, नाचते हुए, रुदन, विलाप करते हुए प्रभु का स्मरण करते थे, अखंड भारत में भ्रमण और प्रवास करते थे। महाप्रभु कृष्ण की ऐसी अनन्य उपासना, असाधारण एकाग्रता के चलते दुनिया के ईसाई देश के नागरिक भी इस्कॉन के द्वारा हिंदू धर्म में दीक्षित और कन्वर्ट हो रहे हैं। हम सभी इस आयोजन से जुड़े, इसमें पधारे और महाप्रभु कृष्ण को अपने में अनुभूत करें, चैतन्य महाप्रभु का साक्षात्कार करें।

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