विश्व थाइरॉइड दिवस पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन
इटारसी। शासकीय कन्या महाविद्यालय में विश्व थाइरॉइड दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमेंं मुख्य वक्ता के रूप में शासकीय गृह विज्ञान अग्रणी स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, होशंगाबाद से उपस्थित हुई डॉ. कामिनी जैन ने बताया की थायरॉइड दो प्रकार के होते हैं, हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइडिज्म। हाइपरथायराइडिज्म में थायरॉइड हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगते हैं और टी 3 और टी 4 का स्तर बढ़ने एवं टीएसएच का स्तर घटने लगता है। जबकि थायरॉइड के दूसरे प्रकार हाइपोथायराइडिज्म में थायरॉइड हार्मोन कम बनने लगते हैं और टी 3 एवं टी 4 का सीरम लेवल घटने तथा टीएसएच का स्तर बढ़ने लगता है।
प्राचार्य डॉ. आरएस मेहरा ने बताया की यह खास दिन थायरॉयड के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से अधिक ग्रसित होती हैं।
विभागाध्यक्ष डॉ. संजय आर्य ने बताया की थायरॉयड के प्रति लापरवाही बरतने से यह रोग व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है।थायरॉयड तितली के आकार की ग्रंथि होती है। थायरॉइड ग्रंथि गले में ठीक नीचे की तरफ मौजूद होती है। यह एंडोक्राइन ग्रंथि हार्मोन बनाती है। इस ग्रंथि से निकलने वाला थायरॉइड हॉर्मोन खून के जरिए हमारे पूरे शरीर में प्रवाहित होता है और शरीर के लगभग हर हिस्से को इसकी जरूरत होती है।
डॉ. हरप्रीति रंधावा ने बताया की थायरॉइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं। थायरॉइड ग्रंथि के ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाने पर थायरॉइड की समस्या उत्पन्न होने लगती है। इसकी वजह से शरीर की प्रत्येक कोशिका प्रभावित होने लगती है।
डॉ. मुकेश कटकवार ने थायरॉइड के लक्षण बताये हाइपरथायराइडिज्म- वजन कम होना, घबराहट, थकान, सांस फूलना, कम नींद आना, अधिक प्यास लगना। हाइपोथायराइडिज्म- वजन बढ़ना, थकान, अवसाद, मानसिक तनाव, बालों का झड़ना, त्वचा का रूखा और पतला होना।
डॉ. शिखा गुप्ता ने बताया की कब करानी चाहिए थायरॉइड की जांच? अमेरिकन थाइरॉयड एसोशिएशन के अनुसार, 35 साल की उम्र से थाइरॉयड की जांच करानी शुरू कर देनी चाहिए और हर 5 साल बाद इसकी जांच नियमित तौर पर करानी चाहिए। ताकि आप इस गंभीर बीमारी से बच सकें। यह बात महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए है।
डॉ. पुनीत सक्सेना ने इसके बचाव के तरीके बताते हुए कहा की स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए फाइबर से समृद्ध और कम वसा वाले आहार लें, कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करते रहें, तनाव से थायरॉइड विकारों को बढ़ने का मौका मिलता है, इसलिए तनाव से बचने की कोशिश करें, तला हुआ भोजन कम से कम खाने की कोशिश करें। ऐसा भोजन करने से दवा का असर कम हो जाता है, अधिक चीनी खाने से बचे, कॉफी में मौजूद एपिनेफ्रीन और नोरेपिनेफ्रीन थायरॉइड को बढ़ावा देते हैं। इसलिए इससे दूरी बनाना ही बेहतर है, हर प्रकार की गोभी खाने से बचें, सोया खाने से बचें।