राम नाम का धन ही जीवन में आत्म बल प्रदान करता है : आचार्य अखलेश

Rohit Nage

इटारसी। संसार में वही व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर होता है जिसके पास आत्म बल और आत्म सुख होता है। यह दोनों सांसारिक धन से प्राप्त नहीं होते, यह तो राम नाम की भक्ति रूपी धन से ही प्राप्त होते हैं?

उपरोक्त उद्गार ग्राम सोनतलाई में उतर प्रदेश के वक्ता आचार्य अखिलेश उपाध्याय ने श्री शतचंडी महायज्ञ और श्रीराम चरित मानस प्रवचन समारोह में व्यक्त किए। ग्राम सोनतलाई में मां कात्यायनी देवी मंदिर में आयोजित श्री शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीरामचरितमानस प्रवचन समारोह में आचार्य अखिलेश उपाध्याय गाजीपुर ने कहा कि संसार में जितने भी जीव हैं, सबका अंतिम उद्देश्य है कि जीवन में सुख की प्राप्ति हो, लेकिन सुख कौन सा? क्योंकि सुख दो प्रकार के होते हैं। एक भौतिक और दूसरा आध्यात्मिक?

भौतिक सुख संसार से मिलता है और इसी में समाप्त हो जाता है, वही आध्यात्मिक सुख सच्चे संतों की वाणी से मिलता है जो जीवन के अंत तक स्थाई होता है और मरणोपरांत हमारी आत्मा को परमात्मा में विलीन कर देता है। अत: जीवन में भौतिक सुख की बजाए आध्यात्मिक सुख प्राप्त करने का उद्देश होना चाहिए। इसी प्रसंग को विस्तार देते हुए संत श्री महावीर दास ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रुति पुराण सब ग्रंथ कहाई रघुपति भगती बिना सुख नाही। अर्थात सभी धर्म पुराण और ग्रंथों का संदेश है कि जीवन में श्री राम की भक्ति के बगैर और उससे बड़ा कोई सुख आत्म बल प्रदान नहीं कर सकता।

आत्मबल प्राप्त करने के लिए राम नाम का धन प्रत्येक मानव के जीवन में होना चाहिए और यह धन संतों की वाणी से ही प्राप्त होता है जिसके लिए कई राजे महाराजे, संतों की शरणागति रहे हैं। इसी प्रसंग पर मानस मर्मज्ञ कंचन दुबे, राघवेंद्र रामायणी ने भी मानस ज्ञान उपस्थित श्रोताओं को प्रदान किया। प्रसंग के प्रारंभ में संयोजक राजीव दीवान ने समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से वक्ताओं का स्वागत किया।

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