इटारसी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नर्मदापुरम के अध्यक्ष व प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा के मार्गदशन में तहसील विधिक सेवा समिति, इटारसी द्वारा अपना घर वृद्धाश्रम में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर सूर्यपाल सिंह राठौर न्यायिक मजिस्ट्रेट इटारसी ने बताया कि माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 जो कि वृद्ध व्यक्तियों एवं माता-पिता के भरण-पोषण एवं देखरेख की व्यवस्था करती है।
इसमें वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो कि अपने आय अथवा अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है। वे अपने व्यस्क बच्चों अथवा संबंधितों से भरण-पोषण प्राप्त करने के लिए हकदार है। भरण-पोषण हेतु गठित अधिकरण में संबंधित अधिकारी के समक्ष अपना आवेदन कर सकते है।
प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है। वह अपने संबंधितों से भी भरण-पोषण की माँग कर सकता है। जिनका उनकी सम्पत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा एवं परित्याग एक संगीन अपराध है। जिसके लिये 5000 रुपए का जुर्माना या तीन माह की सजा या दोनों हो सकते हैं। अधिकरण द्वारा मासिक भरण पोषण हेतु अधिकतम राशि रुपये 10000 रुपए प्रतिमाह तक का आदेश किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त इस अधिनियम इस अधिनियम के अंतर्गत निर्धन वरिष्ठों नागरिक जिनके पास स्वयं के भरण-पोषण का साधन नहीं है उनके लिए राज्य शासन द्वारा वृद्धाश्रमों की स्थापना की गई है। इसके साथ ही सभी शासकीय चिकित्सालयों में वरिष्ठ नागरिकों को इलाज हेतु आवश्यक सुविधाएं निशुल्क प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर जिनेन्द्र कुमार जैन अधिवक्ता एवं विधिक सेवा सदस्य द्वारा वरिष्ठ नागरिकों प्राप्त निशुल्क विधिक सहायता के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में अंत में वृद्धाश्रम के संचालक द्वारा नवनीत कोहली द्वारा उपस्थित अतिथियों अभार व्यक्त किया।