
पितरों के मोक्ष की कामना से श्रीमद् भागवत कथा आयोजन
नर्मदापुरम। पितृपक्ष में पितरों के मोक्ष एवं सद्गति की कामना से हाऊसिंग बोर्ड कालोनी (Housing Board Colony) में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन हुआ।
कथा के अंतिम दिवस भागवत व्यास आचार्य पंडित पंकज पाठक (Acharya Pandit Pankaj Pathak) ने कहा कि सतयुग त्रेतायुग और द्वापर युग में कठिन तपस्या की जाती थी लेकिन कलियुग में केवल भगवान नाम कीर्तन से सुखपूर्वक भवसागर को पार कर सकता है।
अनेक जन्मों के पुण्य उदय होने पर ही भागवत कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है। भागवत जी स्वयं कृष्ण स्वरूप है जिसमें राधा जी अर्थ रूप मे समाहित है। सत्संग से बढ़कर कुछ नहीं है। सत्संग से मोह की निवृत्ति होती है। सत्संग भगवान तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग है। भागवत कथा सांसारिक भवरोग की सर्वश्रेष्ठ औषधी है। सुदामा चरित एवं भागवत महात्म्य पर प्रकाश डाला।
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