पावन पुण्य पर्व मकर संक्रांति की महिमा असीम है- पंकज पटेरिया
सम्पूर्ण भारत देश के विभिन्न प्रदेशों में इसे अलग अलग नामों सेपुकारा जाता है। 14 जनवरी 2021 को सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश कर रहे, इसी के साथ दोपहर 2बजे मकर संक्रांति का शुभागमन हो रहा है। शरीर पर कुमकुम लेपित रक्त और पीले वस्त्र धारण किए है उनके वाहन सिंह ओर दूसरा अश्व है। ओर कंठ मेकमल की माला धारण किए हुए है। देवाधिदेव महादेव आशुतोष ने इसी दिन भगवान विष्णु को आत्मज्ञान दिया था। देवताओं के दिनों की गणना इसी दिन से शुरू होती है। सूर्य जब दक्षिणायन रहते उस समय में देवता की रात्रि रहती है, और मकर मै आते उत्तरायन हो जाते है। देवता का छे माह का दिन का काल खंड हो जाता है।
महाभारत की कथा अनुसार शर शेया पर लेटे भीष्म पिता माह ने शरीर त्यागने के लिए इसी पावन माह ओर पर्व की प्रतीक्षा की थी। गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी। केरल में ,पोंगल ओर खिचड़ी संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पवित्र सरिता सरोवर में पुण्य स्नान कर सूर्यदेव को रक्त ओर श्वेत पुष्प के साथ अर्घ्य देकर
पूजन करने का बड़ा पुण्यदाई महत्व है। मकर संक्रांति के पावन दिन तिल उपटन से स्नान करने की परम्परा है। जिससे शरीर कांतिवान बनता है। तिल गुड़ को भगवान को भोग लगाने तिल के लड्डू खाने ओर गरीबों को दान देने की भी प्रथा है। महिलाए अपने सौभाग्य रक्षा की कामना के साथ अन्य अपनी जैसी अन्य सौभाग्यवती स्त्रियों को सौभाग्य सामग्री भेंट करती है। आज के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे पीछे चलते हुए कपिल मुनि जी केआश्रम से सागर में मिल गई थी। इसी दिन से ऋतु चक्र बदलने लगता, राते छोटी ओर दिन बड़े होने लगते। तिल तिल दिन बड़ने लगते ग्रीष्म ऋतु की शुरू आत होती है। तापमान बड़ने लगता है। देवागमन धरती पर होता है। अन्धकार कानाश प्रकाश का आगमन होता। विभिन्न राशियों पर शुभा शुभ प्रभाव ज्योतिष बताता है। पतंग आदि भी उड़ाने का चलन भी है। बहर हाल हर्षोल्लास यह पर्व भारतीय जनमानस में मधुर मोदमयी अनुभूति कीपुलकन भर नई चेतना जाग्रत करता है। भारतीय पर्व सदा मंगल कारक ओर विश्व के मंगलकी कामना कारक होते है। मकर संक्रांति की हार्दिक मंगल कामनाएं।
पंकज पटेरिया वरिष्ठ पत्रकार कवि
संपादक शब्द ध्वज ज्योतिष सलाहकार
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