पचमढ़ी : शिवजी की नगरी में 11 अक्टूबर को मनेगा शिवमहोत्सव 

Post by: Aakash Katare

-बड़ा महादेव मंदिर, चौरागढ़ महादेव मंदिर, जटाशंकर महादेव, गुप्त महादेव में विराजे हैं भोले बाबा, 12 महीने श्रद्धालु और सैलानी पाते हैं दर्शनलाभ
-उज्जैन के महाकालेश्वर में महाकाल लोक के लोकार्पण का जिले भर के शिवालयों में मनेगा उत्सव। 

नर्मदापुरम। महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में महाकाल लोक लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के आगमन पर नर्मदापुरम जिले के प्रसिद्ध शिवालयों में उत्सव मनाया जाएगा। जिसकी व्यापक स्तर पर तैयारियां जारी हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर महादेव मंदिर (Mahakaleshwar Mahadev Temple) में महोत्सव के उपलक्ष्य में नर्मदांचल भी शिवमय होने जा रहा है। सभी शिवालयों में विशेष साज सज्जा की जा रही है। संत, महंत, पंडित, पुजारियों के साथ ही शिवभक्तों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है।
महाशिवरात्रि और श्रावण के महिने की तरह ही 11 अक्टूबर को एक बार फिर भोले के भक्त शिव भक्ति में सराबोर नजर आएंगे। इसी श्रृंखला में भगवान शिव की विशेष कृपा पात्र देश की प्रसिद्ध पर्यटन स्थली सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी में भी विशेष महोत्सव मनाया जाएगा।
पचमढ़ी के सभी प्रसिद्ध महादेव स्थलों पर पूजन, अर्चन, महारूद्राभिषेक, और महाआरती के साथ ही अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। जिसमें जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी, सैलानी, नागरिक व शिवभक्त शामिल रहेंगे। इस सुअवसर पर विशेष विद्युत सजावट के साथ ही शिव प्रांगणों को दीपों से जगमग किया जाएगा।
ऐतिहासिकता व सौंदर्य का खजाना है पचमढ़ी
प्रकृति प्रदत्त सौंदर्यता से सराबोर पचमढ़ी में शिवजी के अनेक ऐतिहासिक स्थान हैं। जिनमें बड़ा महादेव मंदिर, चौरागढ़ महादेव मंदिर, जटाशंकर महादेव, गुप्त महादेव,आदि अनेक स्थान पर भोले बाबा विराजे हुए हैं। इन क्षेत्रों में 12 महिने श्रद्धालु, सैलानी, दर्शन पूजन अर्चन के लिए जाते हैं।
जनाकर्षण का केंद्र है सतपुड़ांचल
प्राचीन काल से लेकर अब तक सतपुड़ांचल जनाकर्षण का केंद्र है जिसकी मुख्य वजह शिवजी के अनेक प्राकृतिक स्थल ही लोगों को आकर्षित करते हैं। चाहे महाभारत काल में पांडवों का आगमन, नागद्वारी मेला, महाशिवरात्री मेला, इसके अलावा अंग्रेजों का रहवास, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री,कई केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल या मप्र शासन ग्रीष्मकालीन राजधानी रहना, पचमढ़ी उत्सव जैसे अनेक कार्यक्रम, व हरी भरी वादियाां लोगों को लुभाती हैं।
आयोजन की तैयारी जारी 
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Collector Neeraj Kumar Singh) के मार्गदर्शन में पचमढ़ी के प्रमुख शिवजी के स्थानों पर धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिनकी तैयारी जारी है। इन स्थानों पर भी उज्जैन के कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा।

पचमढ़ी के प्रमुख शिवधाम

-जटाशंकर महादेव-
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पंचमढ़ी में जटा शंकर मंदिर सबसे प्रसिद्ध पवित्र मंदिरों में से एक है। यह मंदिर खाई और चट्टान में है। चट्टानों में से पानी रिसता रहता है। जो भोले का अभिषेक करता है। जटाशंकर की उत्पत्ति जटा अर्थात बालों से हुई है और शंकर भगवान शिव का दूसरा नाम है। गुफा में छोटे-छोटे बहुत सारे शिवलिंग देखने को मिलते हैं। मुख्य मंदिर क्षेत्र के अंदर दो अलग-अलग तालाब हैं। एक में ठंडा पानी दूसरे में गर्म पानी रहता है। इस स्थान पर वर्ष भर लोग आते जाते हैं। भगवान शिव का यह पवित्र स्थान एक ऐसा केंद्र है जो धार्मिक रूप से और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी पसंद है।
-बड़ा महादेव मंदिर-
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बड़ा महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर घने जंगलों के बीच में स्थित है। इस मंदिर में एक गुफा है। इस गुफा के अंदर शिवलिंग विराजमान है। शिवलिंग के सामने प्रवेश द्वार के पास नंदी की पत्थर की प्रतिमा विराजमान है। इस गुफा में एक कुंड है। इस कुंड में पानी भरा रहता है। यह पानी चट्टानों से रिस कर इस कुंड में आता है। यह जगह बहुत सुंदर है। यहां पर बहुत सारे बंदर मौजूद रहते हैं। श्रद्धालुओं व पर्यटकों का यह प्रिय स्थान है।
-गुप्त महादेव-
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गुप्त महादेव मंदिर में भी गुफा देखने के लिए मिलती है। यह गुफा बहुत ही सकरी है। इस गुफा में एक समय में 8 लोग ही अंदर जा सकते हैं। इस गुफा के अंदर शिवलिंग हैं। यह शिवलिंग बहुत ही सुंदर है। इस गुफा में लाइट और पंखे की व्यवस्था भी की गई है। ताकि लोगों को घुटन ना हो और उन्हें अच्छे से दर्शन हो सके। मंदिर के बाहर हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा है। यह मंदिर बड़ा महादेव मंदिर से करीब एक से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित है।
-चौरागढ़ महादेव-
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चौरागढ़ महादेव मंदिर घने जंगल में स्थित है। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में जाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। इस मंदिर में शंकर भगवान की बहुत ही सुंदर प्रतिमा है। यह प्रतिमा बहुत ही आकर्षक है। यहां पर हजारों की संख्या में त्रिशूल हैं। जो महाराष्ट्र तथा अन्य स्थानों से आने वाले भक्तों के द्वारा महाशिवरात्रि के अवसर पर अर्पित किए जाते हैं।
मान्यता है कि मनोकामना पूरी होती है। वह भगवान शिव के स्थान पर त्रिशूल चढ़ाता है। इसके साथ ही नागद्वार भी प्रमुख स्थान है जहां पर नागपंचमी के अवसर पर विशाल मेला लगता है। वर्ष में एक बार ही इस क्षेत्र के द्वार खुलते हैं। इसके अलावा और भी अनेक शिवधाम पंचमढ़ी में हैं।

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