- – ट्रेनों एवं यात्रियों की संख्या बढऩे का असर, पैक्ड वाटर खरीदने को मजबूर यात्री
इटारसी। भीषण गर्मी की शुरूआत के साथ ही रेलवे जंक्शन पर जलसंकट गहरा गया है। यात्री ट्रेनों में बढ़े यात्रियों के दबाव के आगे यहां की पेयजल सुविधाएं नाकाफी साबित हो रही हैं। महज पांच-सात मिनट रुकने वाली ट्रेनों से उतरने वाले सैकड़ों यात्री नल स्टैंड पर टूट पड़ते हैं, लेकिन इतनी ज्यादा भीड़ रहती है कि यात्रियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त ठंडा पानी नहीं मिलता। मजबूरी में यात्रियों को पैक्ड वाटर खरीदना पड़ता है।
स्टेशन पर रियायती दर पर पानी देने वाली वाटर वेडिंग मशीनें भी चालू नहीं हो सकी हैं, कई जगह मशीनें बंउ पड़ी हैं। ठंडे पानी की किल्लत लंबी दूरी की ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को भीड़भाड़ के कारण पानी की जरूरत ज्यादा होती है, सिर्फ बड़े स्टेशनों पर ही यात्री पानी ले पाते हैं, लेकिन यहां भी पर्याप्त पानी नहीं मिलता। नलों में गर्म पानी मिलता है, साथ ही प्रेशर कम रहता है। बिहार जा रहे यात्री मलखान, देवेन्द्र सिंह ने बताया कि कई बार इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि कई यात्री पानी ही नहीं ले पाते, यहां ग्रीष्मकाल को लेकर प्याऊ लगाई जाना चाहिए। मटके भी नहीं हैं, नल स्टैंड पर ठंडा पानी नहीं मिलता है।
लाखों का कारोबार ग्रीष्मकाल में रेलवे जंक्शन पर मिनरल वाटर का करोड़ों रुपयों का कारोबार होता है। खासतौर पर सामान्य कोच के यात्रियों को पानी की जरूरत ज्यादा होती है, इनमें पेंट्री कार की सप्लाई भी नहीं होती। इसका फायदा वेंडर ओवरचार्जिंग कर उठाते हैं। पंद्रह रुपये कीमत की बोतल के 20 रुपये वसूले जाते हैं। स्टेशन पर रेल नीर के अधिकृत पानी के अलावा अन्य कई कंपनियों का पानी अनाधिकृत रूप से कमीशनखोरी में बेचा जाता है। कुछ दिन पहले भी मजिस्ट्रेट चैकिंग में एक ट्रेन से बड़ी मात्रा में पानी बोतलें बरामद की गई थीं। पेंट्री कार के स्टाफ द्वारा भी रेल नीर के नाम पर दूसरा ब्रांड बेचा जा रहा है, इसमें यात्रियों की जेब हल्की होती है, वहीं लाइसेसियों का मुनाफा होता है।
स्टेशन प्रबंधक देवेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि सभी नल स्टैंडों को चालू कराया गया है, कुछ जगह वाटर वेडिंग मशीन शुरू होना है, ग्रीष्मकाल में स्काउट गाइड, सिंधी समाज एवं अन्य संगठनों के प्याऊ भी चलाए जाते हैं, किसी भी तरह से यात्रियों को समस्या न हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि रोज करीब 170 ट्रेनों के स्टापेज वाले जंक्शन पर ग्रीष्मकाल में विशेष ट्रेनों का संचालन होने से यात्रियों का दबाव बढ़ जाता है। ट्रेनों में यात्रियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यहां पैर रखने की जगह नहीं बचती है। प्लेटफार्मो पर नलों के स्टैंड भी कम हैं, कई जगह गंदगी और मलबा जमा रहता है, नल स्टैंड के आसपास सफाई नहीं की जाती है, इससे संक्रमण का खतरा रहता है। कई बार यात्री जूठन और डिस्पोजल यहां फेंक जाते हैं, इससे गंदगी बढ़ती है।