इटारसी। नर्मदापुरम-इटारसी मार्ग पर खेड़ा नहर के पास बने ओवर ब्रिज का छह माह में चौथी बार पेंचवर्क किया जा रहा है। गुजरात की जिस कंपनी ने इस ब्रिज पर रोड बनायी थी, उसके अधिकारी और रेलवे के कुछ स्थानीय अधिकारी अपनी लापरवाही को तकनीकि खामियों का जमा पहनाकर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करते रहे। छह माह में चौथी बार पेंचवर्क होने से यह तो तय हो जाता है कि हर बार घटिया निर्माण होने से ब्रिज पर बार-बार गड्ढे हो रहे हैं। फोरलेन बन जाने से इस ब्रिज पर यातायात का दबाव भी कम है, बावजूद इसके बार-बार गड्ढे होना निश्चित तौर पर घटिया निर्माण की कहानी बयां करता है।
आरओबी पर गुजरात की कंपनी के साथ ही कुछ स्थानीय रेल अधिकारी मौजूद थे। जब उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि दरअसल, ब्रिज में ही तकनीकि खामी है, इसलिए बार-बार ऐसी नौबत आ रही है। हालांकि रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि यह घोर लापरवाही का नतीजा है, क्योंकि डामर को जिस तापमान में डालने की जरूरत होती है, उसमें लापरवाही की गई है। तकनीकि खामी का बहाना जिम्मेदारी से नहीं बचा सकता है। अब तकनीकि खामी के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए।
लंबे इंतजार के बाद हुआ शुरु

बता दें कि यह ब्रिज लंबे इंतजार और वाहन चालकों द्वारा अत्यधिक परेशानियों को झेलने के बाद प्रारंभ किया गया। आनन-फानन में इस पर डामर बिछा दिया। जब वाहन चलने प्रारंभ हुए तो एक हफ्ते में ही जगह-जगह गड्ढे हो गये, ब्रिज की रोड दो हिस्सों में बंट गयी और बीच में लंबी दरार होने से वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होने लगे। रेलवे के अधिकारियों की निर्माण के वक्त मॉनिटरिंग नहीं करने से ठेकेदार ने मनमानी की और अब रेलवे के अधिकारी यह कहकर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं कि तकनीकि खामी थी, ठेकेदार का भुगतान नहीं कया गया है, जब तक पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होंगे ठेकेदार को भुगतान नहीं किया जाएगा।
बात करने से बचते रहे
आरओबी पर मौजूद अधिकारी हमसे बात करने से बचते रहे। केवल तकनीकि खराबी की बात की। जब उनको कहा कि तकनीकि खामी की बात जिम्मेदारी से नहीं बचा सकती तो जवाब मिला कि जिन्होंने यह काम कराया, सब रिटायर हो गये, हम अब देख रहे हैं। आगे सवालों पर बोले कि आप तकनीकि खामी की बात को समझ ही नहीं रहे हैं तो आपसे आगे क्या बात करें, हम कोई जवाब नहीं देंगे और आप सुन नहीं रहे तो आपको पूछने का भी हक नहीं है। बहरहाल, अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं करके बात करने से बचते रहे मौजूद अधिकारी और हम पर भी बात नहीं सुनने का आरोप मढऩे लगे। फिलहाल जो डामर डाला गया था, उसे हटाया जा रहा है ताकि नया डामरीकरण किया जा सके।