पीसीबी की टीम ने मालगोदाम में देखे प्रदूषण रोकने के उपाय, कुछ सुझाव भी दिये

इटारसी। रेलवे मालगोदाम से होने वाले प्रदूषण और आसपास के लोगों के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर याचिका और आदेश के बाद आज मप्र प्रदूषण निवारण मंडल भोपाल के अधिकारी रेलवे मालगोदाम में धूल से प्रदूषण की जांच के लिए पहुंचे। इस दौरान स्थानीय अधिकारियों ने भी उनके साथ क्षेत्र का निरीक्षण किया।

सोमवार को मप्र प्रदूषण निवारण मंडल भोपाल के क्षेत्रीय अधिकारी अभय श्राफ पहुंचे। उन्होंने मालगोदाम की उड़ती धूल से रहवासियों को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने रेलवे के प्रयासों को देखा। इस दौरान इटारसी रेलवे स्टेशन के प्रबंधक देवेंद्र चौहान, डीसीआई विकास सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे। अधिकारी श्राफ ने कहा कि यहां धूल बहुत है। इसके कारण काम करने वाले श्रमिक और आसपास के रहवासियों को परेशानी हो रही है। एनजीटी के निर्देश मिलने के बाद रेलवे ने एक्शन प्लॉन बनाकर भेजा, जिसका निरीक्षण करने वे आए हैं।

रेलवे यहां बाउंड्रीवाल बना रहा है, हालांकि इसकी ऊंचाई कम होने की शिकायत भी हो चुकी है। आज इस टीम ने भी इसे महसूस किया। प्रदूषण मंडल के अधिकारी श्री श्राफ बोले, हमने रेलवे से कहा कि पानी के स्प्रिंकलर लगाने के साथ ही धूल रोकने बाउंड्रीवाल को ऊंची करें। इस पर एस्बेटस की दीवार बनाकर पानी के स्प्रिंकलर लगाएं, जिससे ट्रकों से उड़ती धूल को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि परिसर को भी पूरा सीमेंटयुक्त बनाए। पहले रेलवे को अनुमति नहीं लेनी पड़ती थी, पर अब प्रदूषण बोर्ड ने रेलवे को भी मालगोदाम परिसर को धूल-गंदगी से रोकना अनिवार्य कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रदूूषण की चिंता किए बिना संचालित हो रहे रेलवे मालगोदाम से प्रदूषण के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका लगी थी। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा पेश किए तथ्यों एवं सीमेंट-फर्टिलाइजर के रैक से बढ़ रहे प्रदूषण की शिकायतों को एनजीटी ने गंभीरता से लिया है।
एनजीटी के विशेषज्ञ सदस्य शिव कुमार सिंह एवं डा. अरुण कुमार वर्मा की बैंच ने नर्मदापुरम कलेक्टर एवं मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक टीम गठित कर एक माह के भीतर मालगोदाम की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को मापने, रेलवे के इंतजामों, आसपास रहने वाले लोगों की स्वास्थ्य जांच एवं प्रदूषण रोकथाम में लापरवाही को लेकर एक रिपोर्ट तलब की है। प्रकरण में याचिकाकर्ता द्वारा मंडल रेल प्रबंधक एवं महाप्रबंधक रेलवे को भी परिवादी बनाया है।

मालगोदाम से सीमेंट और फर्टिलाइजर रैक की वजह से बड़े पैमाने पर पूरे इलाके में तेजी से जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण हो रहा है। रेक के आसपास काम करने वाले हम्मालों, ट्रांसपोर्टर, रेलकर्मियों के साथ ही इस मार्ग से निकलने वाले लोगों एवं आसपास रिहायशी बस्ती के लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। याचिका में दावा किया है कि सीमेंट रैक लोडिंग-अनलोडिंग के दौरान हानिकारक धूल-धुएं के कण श्वांस प्रकिया में मानव शरीर में प्रवेश करते हैं, जिससे फेफड़ों में संक्रमण समेत अन्य बीमारियां होने का खतरा है। इन्हीं सबका निरीक्षण करने आज मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम पहुंची थी।

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AUTHORRohit

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